ममता और नीतीश ने बनाया प्लान 475, क्या कांग्रेस मानेगी

जानिए क्या है पूरा मामला

Update: 2023-05-29 13:55 GMT
नई दिल्ली। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता की लहर और गृहमंत्री अमित शाह की चुनावी रणनीति की काट तलाश रहे जेडीयू के नीतीश कुमार और टीएमसी की ममता बनर्जी ने बीजेपी को हराने के लिए प्लान 475 बनाया है। प्लान 475 का खाका सबसे पहले ममता ने पेश किया था। संकेत है कि इस पर जेडीयू ने थोड़ा और काम किया है ताकि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत अन्य नेता 12 जून को पटना में मीटिंग के लिए जब जुटें तो वैचारिक एकजुटता और साझा बयान पर चर्चा में समय खर्चा करने के बदले लोकसभा की एक-एक सीट पर रणनीतिक लड़ाई का रोडमैप सबके सामने हो।
जेडीयू के सर्वोच्च नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मेजबानी में भाजपा विरोधी पार्टियों की 12 जून को पटना में पहली औपचारिक मीटिंग के साथ ही विपक्षी खेमे में भी लोकसभा चुनाव की तैयारियां तेज हो जाएंगी। कांग्रेस ने नीतीश को उन दलों का मन टटोलने का जिम्मा सौंपा था जिससे कांग्रेस इस स्टेज पर सीधे बात नहीं करना चाहती। नीतीश पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक घूम आए हैं जिसके बाद 12 जून की तारीख तय हुई है। चर्चा है कि लगभग डेढ़ दर्जन भाजपा विरोधी दलों के नेता पटना पहुंच सकते हैं।
सूत्रों का कहना है कि ममता बनर्जी ने नीतीश को प्लान 475 सीट दिया है जिस पर कांग्रेस से चर्चा और आगे की बात होगी। अखिलेश यादव विपक्षी एकता पर ममता की सुर में सुर मिला रहे हैं क्योंकि दोनों के राज्य में कांग्रेस की हालत एक जैसी है। ममता ने सार्वजनिक रूप से कहा भी है कि कांग्रेस को 200 सीट के आस-पास लड़ना चाहिए और बाकी सीटों पर क्षेत्रीय दलों को प्राथमिकता देनी चाहिए जो जहां मजबूत हैं।
प्लान 475 के तहत ममता और नीतीश का प्लान है कि लोकसभा की 543 में कम से कम 475 सीटों पर बीजेपी के खिलाफ विपक्ष से सिर्फ एक कैंडिडेट लड़े। कैंडिडेट कांग्रेस का हो या किसी और पार्टी का लेकिन लड़े कोई एक जिससे वोट ना बंटे और बीजेपी को आमने-सामने की लड़ाई में हराकर 2024 में लगातार तीसरी बार लोकसभा चुनाव जीतने से रोका जा सके।
सूत्र बताते हैं कि 475 सीटों पर एक कैंडिडेट देने का वो फॉर्मूला जिस पर चर्चा होगी उसमें 2019 में जीती सीटों का सबसे अहम रोल है। बेसिक फॉर्मूला है कि 2019 में जिस पार्टी ने जो सीट जीती, वो उसकी। नंबर 2 पर रही पार्टी को प्राथमिकता देना फॉर्मूला का दूसरा स्टेज है। क्षेत्रीय दल इस फॉर्मूले पर कांग्रेस से सीट के बंटवारे पर सहमति बनाने की कोशिश करेंगे। किसी सीट पर नंबर 1 और 2 पर रही पार्टी अगर विपक्षी खेमे में नहीं हो तो तीसरे नंबर पर रही पार्टी को तवज्जो दिया जाए। लब्बोलुआब ये कि 2019 के चुनाव में विपक्षी खेमे की जो पार्टी सबसे ज्यादा वोट लाई, उसका उस सीट पर हक माना जाए।
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