माल्या की जब्त संपत्ति कर्ज देने वाले बैंकों को दी जाएगी, वकीलों ने जताया विरोध

भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को कर्ज देने वाले बैंक नुकसान में हैं

Update: 2021-06-02 17:33 GMT

भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को कर्ज देने वाले बैंक नुकसान में हैं लेकिन आज के समय तक वे कुल कितने नुकसान में हैं, उस धनराशि का पता नहीं चल सका है। यह बात प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के मामलों की सुनवाई के लिए गठित विशेष न्यायालय के न्यायाधीश जेसी जगदाले ने कही है। विशेष न्यायालय ने माल्या की जब्त संपत्ति कर्ज देने वाले बैंकों को दिए जाने के दो आदेश किए हैं, जो बुधवार को सार्वजनिक हुए।

जस्टिस जगदाले ने यह बात प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा माल्या की जब्त संपत्ति को कर्ज देने वाले बैंकों को दिए जाने संबंधी आदेश में कही है। विशेष न्यायालय ने इसी हफ्ते इस बाबत दो आदेश दिए हैं। न्यायालय ने कहा, बैंकों ने अपने 6,200 करोड़ रुपये के नुकसान का काल्पनिक दावा किया है। इसे स्पष्ट किया जाए। कहा गया है कि माल्या ने बैंकों से कर्ज लिया और उस धनराशि को गैरकानूनी तरीके से देश से बाहर भेज दिया।
विशेष न्यायालय इसी आरोप के लिए ही माल्या के खिलाफ सुनवाई कर रही है। उल्लेखनीय है कि भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम ने माल्या को कर्ज दिया था, जिसे उसने विभिन्न गैरकानूनी तरीकों से विदेश भेज दिया और खुद देश से फरार हो गया। माल्या इस समय ब्रिटेन में है, उसे भारत लाने के लिए सीबीआइ और अन्य भारतीय एजेंसियां वहां पर प्रत्यर्पण का मुकदमा लड़ रही हैं।
भारत में माल्या की गैरमौजूदगी में ईडी ने उसकी संपत्तियां जब्त कर ली हैं। अब बैंकों का कंसोर्टियम उन संपत्तियों को मांग रहा है जिनसे वह अपने नुकसान की भरपाई कर सके। न्यायालय में उपलब्ध जानकारी के अनुसार माल्या की 5,646 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है। इसी का जिक्र न्यायालय के आदेशों में किया गया है।
24 मई के आदेश में माल्या की जब्त संपत्ति में से 4,234 करोड़ रुपये की संपत्ति को बैंकों को देने के लिए कहा गया है, जबकि मंगलवार के आदेश में बाकी की 1,411 करोड़ रुपये की संपत्ति को भी बैंकों को देने का आदेश दिया गया है। जबकि लंदन में चल रहे प्रत्यर्पण के मामले में बैंकों का दावा है कि उनका माल्या पर नौ हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है। माल्या के वकीलों ने जब्त संपत्ति को बैंकों को देने के दोनों ताजा आदेशों का विरोध किया है।


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