Zakir Hussain: जाकिर हुसैन के घर पर काम करने वाली मैमून शेख ने साझा किए पुराने किस्से
मुंबई: देश के मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का 73 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन को लेकर पूरे देश में शोक की लहर है। हर कोई उनके निधन पर दुख व्यक्त कर रहा है और उनसे जुड़े किस्से साझा कर रहा है।
इस बीच, जाकिर हुसैन के घर पर काम करने वाली मैमून शेख और उनके बेटे इस्माइल शेख ने न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस से खास बातचीत की। मैमून शेख ने आईएएनएस को बताया, “जब हमने जाकिर हुसैन के निधन के बारे में पता लगा, तो हमें बहुत दुख हुआ। हमने कम से कम पांच-छह साल उनके घर पर काम किया था। शायद इससे ज्यादा भी किया होगा। उनके अब्बा भी अच्छे थे, उनकी अम्मी भी, उनकी बहनें भी। अब हम उनके घर नहीं जाते थे, क्योंकि हमने वहां पर काम करना छोड़ दिया था।"
उन्होंने आगे कहा, “जाकिर हुसैन बहुत अच्छे थे, बातचीत करने में भी अच्छे थे। ऐसा नहीं कि यह नौकर है, तो इससे बात नहीं करेंगे। उनकी ऐसी आदत नहीं थी। हमेशा सलाम-दुआ कर पूछते थे कि क्या खैरियत है, कैसे हो।” उन्होंने कहा, “उनके अब्बा के निधन से पहले हमारी उनसे मुलाकात हुई थी।” मैमून शेख के बेटे इस्माइल शेख ने तबला वादक जाकिर हुसैन के निधन पर आईएएनएस से बातचीत में उनसे जुड़े किस्से साझा किए।
इस्माइल शेख ने कहा, “जब हमने सुना कि जाकिर हुसैन अब इस दुनिया में नहीं रहे, तो हमें बड़ा झटका लगा। यह खबर हमारे भाई ने दी थी, और सुनते ही हमारे रोंगटे खड़े हो गए। हमारी मां उनके घर पर काम करती थी। हम बचपन में अक्सर उनके घर जाते थे। करीब 25 साल पहले की बात है, जब हम 10-12 साल के थे। जाकिर हुसैन हमसे बहुत अच्छे से मिलते थे, हमको देखकर खुश होते थे। जब हम छोटे थे, तभी से मेरी मम्मी खाना बनाने का काम करती थी। जाकिर हुसैन अपने घर के प्रोग्राम में भी हमें बुलाते थे।”
उन्होंने आगे कहा, “हम लोग बैठते थे, वह सोफे पर बैठते थे, हमने उन्हें अपनी आंखों से देखा था। इतना करीब से देखा था। कुछ छह-सात महीने पहले भी हमने सुना था कि वह इधर आए थे, लेकिन हमसे कभी बात करने का मौका नहीं मिला। फिर बाद में हमें पता लगा कि वह अमेरिका में शिफ्ट में हो गए हैं।”
उन्होंने कहा कि जब हम लोग बचपन में जाकिर हुसैन को देखते थे, तो हमको इतना अच्छा लगता था। उनका तबला बजाना देखना बहुत खास था। हम बचपन में जब उन्हें तबला बजाते हुए देखते थे, तो वो बहुत खुश होते थे। ऐसा लगता था जैसे उनका पूरा मन तबला बजाने में लगा हुआ हो। हम तो खुद सोचने लगते थे कि वह कितने अच्छे तरीके से बजाते हैं। इतना अच्छा लगता था, किसी बड़ी हस्ती को देख रहे थे।” उन्होंने कहा, “उनका स्वभाव बहुत अच्छा था, जब बात करते थे तो बहुत मृदुल होते थे। अब जब हमें यह खबर मिली कि वह नहीं रहे, तो बहुत झटका लगा।”