केंद्र को दिया लॉकडाउन का सुझाव
उन्होंने कहा कि कोविड पर बने राष्ट्रीय टास्क फोर्स ने 15 अप्रैल को हुई मीटिंग के बाद 10 प्रतिशत से ज्यादा संक्रमण वाले इलाकों में लॉकडाउन का सुझाव केंद्र सरकार को दिया था. हालांकि 20 अप्रैल को राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन को अंतिम विकल्प के रूप में रखने और राज्यों को माइक्रो कंटेनमेंट जोन पर फोकस रखने का सुझाव दिया था.
26 अप्रैल को, टास्क फोर्स की मीटिंग के दस दिन बाद गृह मंत्रालय ने राज्यों को पत्र लिखकर संक्रमण से ज्यादा प्रभावित जिलों में सख्त पाबंदियां लागू करने को कहा था, लेकिन ये निर्देश भी सिर्फ 14 दिनों के लिए था. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने इस महीने की शुरुआत में रिपोर्ट किया था कि नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने प्राइवेट तौर पर हुई एक मीटिंग में कहा था कि अप्रैल की शुरुआत में ही कड़ा लॉकडाउन लागू किया जाना चाहिए था.
आईसीएमआर के अधिकारियों ने रॉयटर्स से कहा था कि चिकित्सा परिषद नेताओं को बड़ी-बड़ी रैलियां करते और धार्मिक कार्यक्रमों को देखकर विचलित हो गया था. बंगाल सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दरम्यान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई सारी बड़ी चुनावी रैलियों को संबोधित किया था. रिपोर्ट के मुताबिक आईसीएमआर अधिकारियों ने सरकार की ओर इशारा करते हुए कहा था कि महामारी के खिलाफ हमारा संदेश गलत था, हमारी प्रतिक्रिया परिस्थितियों के मुताबिक नहीं थीं.
हालांकि बलराम भार्गव ने इस बात से इनकार किया कि आईसीएमआर के भीतर नीतिगत मुद्दों पर किसी तरह का मतभेद था. उन्होंने कहा कि नीति निर्माताओं के साथ हमारी सहमति थी, हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर नेताओं पर कोई टिप्पणी नहीं कि और कहा कि भारत हो या दुनिया का कोई भी देश, कोरोना जैसी महामारी के समय भीड़ लगाने की अनुमति नहीं दी जा सकती. ये कॉमन सेंस की बात है.
ये पहली बार है, जब डॉक्टर भार्गव जैसे केंद्र सरकार के किसी बड़े अधिकारी ने देश में लॉकडाउन की अवधि को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. ध्यान रखने वाली बात ये है कि देश के ज्यादातर राज्यों में आवश्यक सेवाओं को छूट के साथ लॉकडाउन चल रहा है. हालांकि केंद्र सरकार ने दूसरी लहर के दौरान लॉकडाउन का ऐलान नहीं किया है.