कोट ने ख़ारिज की राज्य सरकार की अर्जी, रीता जोशी समेत 18 अभियुक्तो पर चलता रहेगा मुकदमा

एमपीएमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने धरना-प्रदर्शन के दौरान तोड़-फोड़ व पुलिस बल पर हमला करने आदि के एक आपराधिक मामले को वापस लेने की मांग वाली राज्य सरकार की अर्जी को निरस्त कर दिया है।

Update: 2021-02-20 17:50 GMT

एमपीएमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने धरना-प्रदर्शन के दौरान तोड़-फोड़ व पुलिस बल पर हमला करने आदि के एक आपराधिक मामले को वापस लेने की मांग वाली राज्य सरकार की अर्जी को निरस्त कर दिया है। उन्होंने इस मामले को गंभीर करार देते हुए अभियुक्तों पर आरोप तय करने के लिए छह मार्च की तारीख मुकर्रर की है। इस मामले में रीता बहुगुणा जोशी, राज बब्बर, प्रदीप जैन आदित्य, अजय राय, निर्मल खत्री, राजेश पति त्रिपाठी व मधुसुदन मिस्त्री समेत 18 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल है। शनिवार को विशेष अदालत में रीता बहुगुणा जोशी उपस्थित थीं। बीते छह फरवरी को विशेष अदालत ने इस अर्जी पर अभियोजन व बचाव पक्ष की बहस के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।

यह है मामला
17 अगस्त, 2015 को इस मामले की एफआईआर एसआई प्यारेलाल प्रजापति ने थाना हजरतगंज में दज कराई थी। उस रोज कांगे्रस पार्टी का लक्ष्मण मेला स्थल पर धरना-प्रदर्शन था। करीब पांच हजार कार्यकर्ताओं के साथ अचानक यह सभी अभियुक्तगण धरना स्थल से विधान सभा का घेराव करने निकल पड़े। इन्हें समझाने व रोकने का प्रयास किया गया लेकिन नहीं माने। संकल्प वाटिका के पास पथराव करने लगे। जिससे भगदड़ मच गई। इस हमले में एडीएम पूर्वी निधि श्रीवास्तव, एसपी पुर्वी राजीव मल्होत्रा, सीओ ट्रैफिक अवनीश मिश्रा, एसएचओ आलमबाग विकास पांडेय व एसओ हुसैनगंज शिवशंकर सिंह समेत पुलिस के कई अधिकारी व पीएसी के कई जवान गंभीर रुप से घायल हो गए। अशोक मार्ग से आने व जाने वाले आम जनता को भी चोटें आई। कई गाडियों के शीशे टूट गए। कानून व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो गया। 25 दिसंबर, 2015 को विवेचना के बाद पुलिस ने अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की कई गंभीर धाराओं व क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट की धारा में भी आरोप पत्र दाखिल किया था।


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