धर्मशाला में जनजातीय वोटरों पर नजर

Update: 2024-05-17 09:20 GMT
धर्मशाला। विधानसभा उपचुनाव की दृष्टि से प्रदेश की सबसे हॉट सीट बन चुकी धर्मशाला में अब कांग्रेस व भाजपा की नजरें जनजातीय वोटरों पर टिकी हुई हैं। अब तक धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र को भाजपा से ही तीन विधायक इस ट्राइबल समुदाय से मिल चुके हैं, लेकिन 2024 का चुनाव बिना जनजातीय समुदाय के प्रत्याशी से हो रहा है। बृज लाल धर्मशाला से भाजपा के पहले जनजातीय विधायक रहे हैं। उसके बाद उनकी विरासत को किशन कपूर ने संभाला। कपूर के बाद उपचुनाव में विशाल नैहरिया विधायक बने। दशकों तक धर्मशाला का प्रतिनिधित्व करने वाला गद्दी समुदाय इस बार खामोश है। न तो किसी पार्टी ने इस समुदाय के किसी नेता को टिकट दिया और न ही समुदाय ने किसी को आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतारा है। पिछले इतिहास को देखें तो अब तक यह समुदाय भाजपा के साथ ही चलता रहा है। इसकी बजह यह रही कि बीजेपी ने एक नहीं, बल्कि तीन नेताओं को टिकट दिए।

इनमें से सांसद किशन कपूर तो करीब 40 वर्षों तक धर्मशाला से भाजपा के नेता रहे। ऐसे में अब बिना जनाजातीय नेता के हो रहे चुनाव में क्षेत्र का यह सबसे बड़ा वोटर किस तरफ जाएगा, इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। हालांकि भाजपा ने पिछली बार पार्टी से बगावत कर चुनाव लडऩे वाले विपिन सिंह नेहरिया को पार्टी के साथ जोड़ लिया है। इतना ही नहीं, सांसद किशन कपूर के पुत्र शाश्वत कपूर को भी युवा मोर्चा का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाकर पार्टी के काम में लगा दिया है। भाजपा ने मंडल अध्यक्ष भी इसी समुदाय से विशाल नेहरिया को बना रखा है, लेकिन आम वोटर क्या सोच रहा है और किसका साथ देगा, ये पत्ते खुलना अभी बाकी है। धर्मशाला में ट्राइबल वोटर के साथ साथ ओबीसी वोट भी बड़ी संख्या में है, लेकिन बीते कुछ चुनावों में हुए प्रयास सफल नहीं हो पाए हैं। इस बार भी राकेश चौधरी चुनाव मैदान में हैं। ओबीसी वोटर इस बार के चुनाव में अपने प्रत्याशी के साथ कितना एका दिखा पाता है और कांग्रेस व भाजपा इसमें कितनी सेंध लगा पाती है, इस पर भी सबकी नजरें हैं। इस सारे सियासी खेल में धर्मशाला का चुनाव रोचक हो गया है। भले ही इस बार के चुनावों में समुदाय का कोई नेता नहीं है, फिर भी इस समुदाय का रोल अहम रहने वाला है।
Tags:    

Similar News