Before Marriage दूल्हा-दुल्हन की सिकलसेल जांच रिपोर्ट का मिलान जरूरी

Update: 2024-06-01 12:10 GMT
Pratapgarh: प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ एक ऐसी लाइलाज बीमारी जो ना हवा से फैलती है ना पानी से और ना ही भोजन से। माता-पिता से ही बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हो जाते है। इसलिए जोड़ियां बनाने से पहले मेडिकल कुंडली का मिलान जरूरी है। दरअसल, देखना यह हैं दंपत्ति बनने जा रहे जोड़े वर-वधू में कोई सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित तो नहीं है। जिला कलक्टर डॉ. अंजली राजोरिया ने बताया कि चिकित्सा विभाग द्वारा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र प्रतापगढ़ में 0 से 40 साल तक के आयु वर्ग के लोगों की सिकल सेल एनीमिया की स्क्रीन करवाई गई। जिनमें 165 लोग सिकलसेल एनीमिया पॉजिटिव पाए गए। जबकि वाहक के तौर पर 86 लोग चिन्हित किए जा चुके हैं। आभियान के तहत स्क्रीनिंग का कार्य अभी चल रहा हैं। उन्होंने बताया कि जिले के तकरीबन 4 लाख 8 हजार लोगों की स्क्रीनिंग करवाई जा चुकी हैं। लक्ष्य के अनुसार बाकी के 60 हजार लोगों का स्क्रीनिंग का कार्य चल रहा है। सीएमएचओ डॉ. जीवराज मीणा ने बताया कि यह बीमारी पहाड़ी इलाकों के समुदायों में है। उन्होंने कहा कि इसको हम सब मिलकर अभियान चलाकर खत्म कर सकते है।

सीएमएचओ ने बताया की सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन-2047 तक लक्ष्य तय किया गया है। इसको ध्यान में रखते हुए सभी स्कूल, आंगनबाड़ी, नरेगा साइट, हॉस्टल और घर-घर जांच करवाएं जा रही है। सिकल सेल एनीमिया एक रक्त विकार ब्लड डिसऑर्डर है। जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता रहता है। ये बीमारी माता-पिता से ही बच्चे में आती है। ये पूरे शरीर में ऑक्सीजन ले जाने के लिए जिम्मेदार लाल रक्त कोशिकाओं रेड ब्लड सेल को प्रभावित करता है। मुख्य रुप से आरबीसी हसियाकार के रुप में हो जाता है। सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित इंसान को रक्त प्रवाह में कमी या रुकावट का सामना करना पड़ता है। जिसके परिणामस्वरूप कई लक्षण दिखाई देते हैं जो आम तौर पर किसी में छह महीने की उम्र के आसपास नजर आते हैं। राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन का उद्देश्य विशेष रूप से प्रभावित आदिवासी क्षेत्रों में 0-40 वर्ष की आयु के लोगों के बीच जागरूकता पैदा करके और जांच करके सिकल सेल एनीमिया को खत्म करना है। सिकल सेल एनीमिया बीमारी के उन्मूलन कार्यक्रम में जेनेटिक काउंसलिंग ज़रूरी है। शादी के पहले लडक़ा और लडक़ी का मेडिकल रिपोर्ट मिलान कर उन्हें इस रोग के बारे में जानकारी दी जा सकती हैं। जिससे भविष्य में होने वाली इस बीमारी के प्रसार को रोका जा सके।
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