Solan. सोलन। कालका-शिमला हेरिटेज रेल ट्रैक पर हाई स्पीड कोच संचालित करने का ट्रायल रेलवे विभाग ने किया है। इसके लिए लखनऊ से एक तकनीकी विशेषज्ञों की टीम आई थी। इस कोच को एक विशेष तरीके से डिजाइन किया गया है। वर्ष 1903 में अंग्रेजी हकूमत में बने कालका-शिमला ट्रैक पर बीते कई वर्षों से हाई स्पीड ट्रेन व हाई स्पीड विस्टाडोम चलाने के लिए प्रयास कर रहा है। इस ट्रैक पर छुक-छुक चलने वाली रेल गाडिय़ों की स्पीड कैसे बढ़ाई जाए व रेलवे ट्रैक के कुछ तीखे मोड़ को कैसे सीधा किया जाए, इस पर रेलवे विभाग की तकनीकी टीम किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है। अंबाला रेलवे मंडल ने वल्र्ड हेरिटेज कालका-शिमला रेल ट्रैक पर पांच घंटे की बजाए चार घंटे का सफर करने के लिए तीन ऐसे टर्न आउट को चिन्हित किया है।
जिनको सीधा करके ट्रेन की स्पीड बढ़ाई जा सकती है। पटरी सीधी होने से आम रेल गाड़ी की स्पीड 15 किलोमीटर प्रति घंटा की बजाए 25 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है। इन तीन चिन्हित कांटा-क्रॉसिंग टर्नआऊट में टकसाल, गुम्मन व कुमारहट्टी शामिल है। जब तक यह कार्य पूरा नहीं हो जाता, तब तक पुरानी रेलगाडिय़ां उसी स्पीड़ पर ही चलेगी। रेल विभाग के कालका के सीडीओ ईश्वर सिंह नेगी ने बताया कि हाई स्पीड कोच का ट्रायल किया है, लेकिन रिपोर्ट मेरे पास अभी नहीं आई है। वर्ष 1903 में बने इस रेल ट्रैक पर रेलगाड़ी आज भी पुराने ब्रेक सिस्टम पर ही चलती है तथा अचानक इन रेल को रोकना संभव नहीं है। हाल ही में हाई स्पीड कोच चलाने का जो ट्रायल लखनऊ से आई विशेषज्ञों की टीम ने किया है, उसमें ट्रैक पर ‘एअर प्रेशर’ को भी जांचा गया है। इस नवीनतम ब्रेक सिस्टम में रेलगाड़ी को ट्रैक पर अचानक भी रोका जा सकता है।