मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत बढ़ी

Update: 2024-04-18 10:54 GMT
नई दिल्ली। दिल्ली शराब नीति मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 26 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दी है. सिसोदिया की यह न्यायिक हिरासत शराब घोटाले से जुड़े ईडी मामले में बढ़ाई गई है. पूर्व डिप्टी सीएम को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 26 फरवरी, 2023 को "घोटाले" में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया था. ईडी ने 9 मार्च, 2023 को सीबीआई की एफआईआर से जुड़े मनी-लॉन्ड्रिंग मामले में सिसोदिया को गिरफ्तार किया. बता दें कि 28 फरवरी, 2023 को सिसोदिया ने दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दिया था. मनीष सिसोदिया पर सीबीआई के साथ-साथ ईडी ने भी आरोप लगाया है कि दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति को संशोधित करते वक्त अनियमितताएं की गईं, लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया, लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना लाइसेंस बढ़ाया गया.
इससे पहले दिल्ली शराब नीति मामले में आरोपी मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर 15 अप्रैल को सुनवाई हुई. इस दौरान जांच एजेंसी ईडी ने कोर्ट में याचिका का विरोध करते हुए कहा कि गंभीर मामलों में ट्रायल में देरी आरोपी के लिए जमानत का आधार नहीं हो सकता. कोर्ट ने 12 अप्रैल को कोर्ट ने सीबीआई और ईडी को नोटिस जारी कर हफ्ते भर में अपना जवाब दाखिल करने को कहा था. सिसोदिया की ओर से चुनाव में प्रचार के लिए जमानत पाने के लिए याचिका लगाई गई है. इस पर सोमवार को दोनों जांच एजेंसियों ने अपने-अपने तर्क रखे और जमानत याचिका का विरोध किया. मामले में अब 20 अप्रैल को सीबीआई की दलीलें सुनी जाएंगी. इसके बाद कोर्ट जमानत याचिका पर फैसला देगा.
सुनवाई के दौरान ईडी ने कोर्ट से कहा कि अगर मनीष सिसोदिया के वकील सिर्फ ट्रायल में देरी को लेकर जमानत के लिए दबाव बना रहे हैं तो इस मुद्दे को लेकर उनको हलफनामा देना चाहिए. पहले भी हमने कोर्ट को बताया है कि बड़ी संख्या में आवेदन दायर किए गए थे. इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि केस बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रहा है. वे कह रहे हैं कि वे केवल देरी पर बहस करना चाहते हैं. मेरी आशंका है यदि आदेश केवल देरी के आधार पर पारित किया गया है, तो बाद में आदेश को चुनौती देने का आधार यह नहीं होना चाहिए कि ट्रायल कोर्ट ने योग्यता के आधार पर मामले पर विचार नहीं किया. इस पर सिसोदिया के वकील ने कहा कि इन सभी योग्यताओं और दस्तावेजों, सबूतों आदि पर न केवल दोनों पक्षों द्वारा बहस की गई, न केवल सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुन: प्रस्तुत किया गया, बल्कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कई पैराग्राफों में इसका निपटारा भी किया गया है. हमने तर्क दिया कि सिसोदिया अनिश्चित काल तक सलाखों के पीछे नहीं रह सकते और सुप्रीम कोर्ट ने उनके तर्क को स्वीकार कर लिया और कहा कि मुकदमे से पहले सजा नहीं दी जा सकती.
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