यूपी। बैंक से सेविंग अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज और बीमे को लेकर देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने एक फरमान जारी किया है. उन्होंने कहा कि इस्लाम में ब्याज लेना हराम होता है. फिर भी अगर कोई हराम का पैसा लेता है तो उसे जरूरतमंद को दे देना चाहिए. बीमा को लेकर उलेमा का कहना है कि जान तो है अल्लाह की अमानत है. जिसे बेच देना सही नहीं है. इसलिए बीमा बिल्कुल नहीं कराना चाहिए. फिर क्यों न वो जान या किसी सामान का हो.
बैंक में सेविंग अकाउंट को लेकर कासमी आगे कहते हैं, "इस सिलसिले मैं बता दूं कि शरीयत, कुरान और हदीस कहती है कि जो पैसा हमने बैंक में जमा किया है, हम सिर्फ उसी के मालिक हैं. बैंक से अगर हमें ब्याज मिलता है तो हम जैसे लोग उसका इस्तेमाल नहीं करते हैं. उसे बैंक से लेते ही नहीं हैं. जो लेते भी हैं वो उस पैसे को जरूरतमंदों पर खर्च कर देते हैं." ये कोई पहली बार नहीं है जब कासमी ने पाबंदियां गिनाई हों. इससे पहले वो बर्थडे न मानने की भी बात कह चुके हैं. इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया था कि ये शरीयत, कुरान या हदीस में नहीं है.
हाल ही में कासमी ने देश के मुसलमानों से अपील करते हुए कहा था कि शादियों में बैंड बाजा, आतिशबाजी, घुड़चढ़ी और डीजे से बचना चाहिए. इतना ही नहीं निकाह भी मस्जिद के अंदर पढ़वाना चाहिए. निकाह इस्लाम की रीति रिवाजों के हिसाब से ही करना चाहिए. गौरतलब है कि हाल ही में दादरी में उलेमाओं ने एक फैसला लिया था. इसमें निर्णय लिया गया था कि जिस मुसलमान की शादी में डीजे या आतिशबाजी होगी उसमें निकाह पढ़वाने कोई उलेमा नहीं जाएगा. फतवा जारी किया गया था कि ऐसे लोगों की पहचान करके उनके जनाजे में भी उलेमा शामिल नहीं होगा.