बेंगलुरु: सूरज पर शोध की राह में आदित्य एल-1 के लिए आज की रात बेहद अहम होगी। इसरो के मुताबिक आदित्य एल-1 फिलहाल पृथ्वी की कक्षा में है और आज रात करीब 2 बजे तय प्रक्रिया के तहत धरती के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव से मुक्त होने के लिए तैयार है। इस प्रकार, यह पृथ्वी-सूर्य प्रणाली में लैग्रेंज पॉइंट 1 की ओर अपनी चार महीने की यात्रा शुरू करेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को इस बात की जानकारी दी। गौरतलब हे कि आदित्य एल-1 ने साइंटिफिक डेटा जुटाना शुरू कर दिया है।
इसरो के अनुसार, आदित्य सोलर विंड पार्टिकल ईएक्सपेरिमेंट (एस्पेक्स) पेलोड के एक घटक सुप्रा थर्मल एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर (एसटीईपीएस ) उपकरण ने 10 सितंबर को पृथ्वी से 50,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर वैज्ञानिक डेटा संग्रह शुरू किया। अंतरिक्ष एजेंसी ने आगे कहा कि जरूरी उपकरण स्वास्थ्य जांच के बाद, डेटा संग्रह जारी रहा क्योंकि अंतरिक्ष यान पृथ्वी से 50,000 किमी के निशान से आगे बढ़ गया। इसरो ने कहा कि जैसे-जैसे आदित्य एल-1 सू्र्य-पृथ्वी के बीच मौजूद एल1 बिंदु की ओर आगे बढ़ेगा वैसे-वैसे एसटीईपीएस की यह माप अंतरिक्ष यान मिशन के ‘क्रूज फेज’ के दौरान भी जारी रहेगी। अंतरिक्ष यान के अपनी इच्छित कक्षा में स्थापित होने के बाद भी यह जारी रहेगा।
इसरो के मुताबिक एल-1 के आसपास जुटाए गए आंकड़ों से सौर वायु की उत्पति, इसकी गति और अंतरिक्ष मौसम से संबंधित चीजों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकेगी। एसटीईपीएस को अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के सहयोग से भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला द्वारा तैयार किया गया है। इसमें छह सेंसर लगे हुए हैं, जो अलग-अलग दिशाओं में अवलोकन कर रहे हैं और एक मेगा इलेक्ट्रॉन वोल्ट (एमईवी) से अधिक के इलेक्ट्रॉन के अलावा, 20 किलोइलेक्ट्रॉन वोल्ट (केईवी) /न्यूक्लियॉन से लेकर पांच एमईवी/न्यूक्लियॉन तक के 'सुपर-थर्मल' और शक्तिशाली आयनों को माप रहे हैं।
पृथ्वी की कक्षाओं के दौरान के आंकड़ों से वैज्ञानिकों को पृथ्वी के चारों ओर, विशेष रूप से इसके चुंबकीय क्षेत्र में मौजूद कणों के व्यवहार का विश्लेषण करने में मदद मिलेगी। एसटीईपीएस, पृथ्वी से 50 हजार किलोमीटर से ज्यादा की दूरी पर 10 सितंबर को सक्रिय हुआ था। यह दूरी पृथ्वी की त्रिज्या के आठ गुना से भी अधिक है। इसरो ने गत दो सितंबर को पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के जरिए 'आदित्य-एल1' का प्रक्षेपण किया था जिसे पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर 'लैग्रेंजियन' बिंदु-1 (एल1) पर प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा।