ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड से हिमाचल पहुंचे 1.44 लाख परिंदे

Update: 2025-02-03 09:45 GMT
Shimla. शिमला। ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड समेत साइबेरिया से उड़ान भरकर एक लाख 44 हजार से ज्यादा परिंदें हिमाचल पहुंच गए हैं। सैकड़ों मील का सफर तय कर इन परिंदों ने सर्दियां बिताने को हिमाचल की डैम साइट को अपना आशियाना बना लिया है। विदेशी परिंदों की इस जबरदस्त आमद से इस बार एक बड़ा रिकार्ड दर्ज हो गया है। बीते करीब 21 सालोंं में पहली मर्तबा प्रवासी परिंदों की तादाद इतनी ज्यादा हुई है। वन्य प्राणी विभाग ने पक्षियों की गणना का विशेष अभियान चलाकर यह आंकड़े जुटाए हैं। प्रवासी परिंदों में ज्यादातर यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, एशिया के अलग-अलग देशों और साइबेरिया से यहां पहुंचे हैं। वन्य प्राणी विभाग की गणना में 97 प्रजातियों के कुल एक लाख 53 हजार 719 जल-निर्भर पक्षी सामने आए हैं। इनमें 55 प्रजातियों के एक लाख 44371 प्रवासी पक्षी हैं। जबकि 31 प्रजातियों के 7382 स्थानीय पक्षी जो भारत के अलग-अलग राज्यों से उडक़र यहां पहुंच हैं। इसके अलावा 11 अन्य प्रजातियों के 1966 पक्षी भी इस गणना में
शामिल हैं।

प्रमुख प्रजाति एशियाई पक्षी बार-हेडेड गीज की संख्या 90959 है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 53458 अधिक है। पौंग में 2004 में शुरू हुई वार्षिक पक्षी गणना के इतिहास में यह अब तक की सबसे अधिक गिनती है। गणना के दौरान दर्ज की गई अन्य प्रमुख प्रजातियों में यूरेशियन कूट 10 हजार 785, कॉमन पोचार्ड 9692, कॉमन टील 8497, नॉर्दर्न पिंटेल 8053, लिटिल कॉर्मोरेंट 3520, यूरेशियन विजियन 3464, ग्रे लैग गूज 2984 शामिल हैं। टफ्टेड पोचार्ड 2331, नॉर्दर्न शॉवेलर 1350 और ग्रेट जलकाग 1271 की गिनती की गई है। जबकि इस गणना में ग्रेटर व्हाइट-फ्रंटेड गूज, लेसर व्हाइट-फ्रंटेड गूज, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, फेरुगिनस पोचार्ड, पाइड एवोसेट और नॉर्दर्न लैपविंग जैसी कई अन्य प्रजातियों के पक्षियों की गणना भी सामने आई है। पक्षियों की कुल आबादी में पिछले वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इसमें 83555 व्यक्तियों की वृद्धि हुई है। पौंग बांध झील वन्यजीव अभ्यारण्य में वार्षिक जल पक्षी गणना में हिमाचल प्रदेश वन विभाग, बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी, डब्ल्यूआईआई, पक्षी उत्साही और स्थानीय निवासियों के 100 से अधिक कर्मियों की भागीदारी निभाई है। यह अभ्यास जो 31 जनवरी को जनगणना-पूर्व ब्रीफिंग से पहले किया था। पूरे अभयारण्य को कवर किया गया, इसे 25 खंडों में विभाजित किया था।
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