INDIA गठबंधन सरकार को बाहर से समर्थन देंगी ममता, किया बड़ा ऐलान
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कोलकाता: लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान तृणमूल सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर इंडिया गठबंधन को लेकर बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने कहा, ”हम बाहर से मदद देकर इंडिया गठबंधन के नेतृत्व में सरकार बनाएंगे.” हालांकि ममता बनर्जी ने यह भी साफ किया कि उनकी पार्टी का बंगाल की सीपीएम और कांग्रेस से कोई संबंध नहीं है, लेकिन दिल्ली की राजनीति में वह इंडिया गठबंधन के साथ हैं.
हुगली जिले के चुंचुड़ा में एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने यह स्थिति साफ की. ममता बनर्जी ने कहा, ‘यहां बंगाल सीपीएम-कांग्रेस को मत देखें. वो दोनों हमारे साथ नहीं हैं. मैं दिल्ली की बात कर रही हूं. हम बाहर से पूरी मदद कर इंडिया गठबंधन के नेतृत्व में सरकार बनाएंगे, ताकि बंगाल में मेरी मां-बहनों को कभी कोई परेशानी नहीं हो.’
बता दें कि इंडिया गठबंधन के गठन के समय सक्रियता दिखाने के बावजूद ममता बनर्जी और उनकी पार्टी फिलहाल इंडिया गठबंधन की हिस्सा नहीं है. बंगाल में माकपा, तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.
ममता बनर्जी की घोषणा के बाद राजनीतिक गलियारों में कई सवाल उठने लगे हैं. तो क्या उन्होंने इंडिया गठबंधन का समर्थन करने पर भी कैबिनेट में शामिल न होने का संकेत दिया है? क्या तृणमूल नेता ने इंडिया गठबंधन को बाहर से समर्थन देने का संकेत दिया है?
बता दें कि ममता और उनकी पार्टी तृणमूल पहले भी कई बार सीधे केंद्र सरकार में शामिल हो चुकी हैं. साल 1998 में बनी 13 महीने की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में ममता शामिल नहीं हुई थीं और बाहर से समर्थन दिया था. बाद में ममता बनर्जी सहित तृणमूल नेता कई बार वाजपेयी और मनमोहन की कैबिनेट में भी रहे थे.
साल 1999 से 2004 तक (बीच की एक अवधि को छोड़कर) तृणमूल वाजपेयी की सरकार थी. साल 2009 में ममता बनर्जी मनमोहन कैबिनेट में शामिल हुईं. 2011 में उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद भी कई दिनों तक उस सरकार में तृणमूल के प्रतिनिधि शामिल थे.
ममता बनर्जी ने सभा में 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के पतन पर भी टिप्पणी की. उस वक्त ममता बीजेपी की सहयोगी थीं. उनके शब्दों में, ”अटलजी एक सम्मानित व्यक्ति थे. उस समय हमें यह समझ नहीं आया कि सरकार चली जायेगी. शाइनिंग इंडिया का नारा दिया गया. लेकिन लोगों का समर्थन नहीं मिला.”
2004 में उस चुनाव के बाद पहली यूपीए सरकार बनी थी. वामपंथी सरकार के नियंत्रकों में से एक थे, लेकिन वे कैबिनेट में शामिल नहीं हुए. बाहर से समर्थन किया. तृणमूल नेता ममता के भाषण में 2024 में उसी रणनीति का संकेत दिया गया जो वामपंथियों ने बीस साल पहले ली थी.
इस बारे में टीएमसी के नेता कुणाल घोष ने कहा, ”पार्टी की लाइन क्या होगी, स्थिति क्या होगी, अंतिम फैसला नेता लेंगे. इसलिए उनकी किसी भी टिप्पणी पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा.” कुणाल ने यह भी कहा, ”लेकिन एक बात साफ है कि बीजेपी हार रही है. विपक्षी गठबंधन इंडिया दिल्ली में वैकल्पिक सरकार बना रहा है. और तृणमूल नियामक की भूमिका निभाएगी. हम बंगाल की मांगों को पूरा करने में भूमिका निभाएंगे.
राज्य में भाजपा के प्रवक्ता राजर्षि लाहिड़ी ने कहा, हर किसी को सपना देखना अच्छा लगता है. तृणमूल नेता भी सपना देख रही हैं. तणमूल को पता है कि पीएम मोदी दिल्ली वापस आ रहे हैं और बंगाल में भी तृणमूल की हार हो रही है.”