हैदराबाद में प्लास्टिक की जगह इको-फ्रेंडली बोतल में मिलेगा पानी, धरती को बचाने की शुरू हुई मुहिम
हैदराबाद स्थित एक स्टार्ट-अप ने पर्यावरण की रक्षा के लिए एक कदम उठाया है. दरअसल बढ़ते प्लास्टिक कचरे को देखते हुए और पर्यावरण सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक की बोतल की जगह पानी के इको-फ्रेंडली बोतल पेश किए गए हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हैदराबाद स्थित एक स्टार्ट-अप (Start up)ने पर्यावरण की रक्षा के लिए एक कदम उठाया है. दरअसल बढ़ते प्लास्टिक कचरे (Plastic Waste) को देखते हुए और पर्यावरण सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक की बोतल की जगह पानी के इको-फ्रेंडली (Eco-friendly) बोतल पेश किए गए हैं. दो तकनीकी विशेषज्ञ सुनीथ तातिनेनी और चैतन्य अयिनपुडी ने प्लास्टिक कचरे को कम करने के उद्देश्य से स्टार्ट-अप 'कैरो वाटर', जिसका अर्थ है 'प्रिय पानी' स्थापित करने के लिए अपनी कॉर्पोरेट नौकरी छोड़ दी.
मिली जानकारी के मुताबिक, कैरो वाटर के सह-संस्थापक सुनीत तातिनेनी ने कहा, "एक व्यक्ति जो लंबी यात्रा कर रहा है, वह कम से कम एक लीटर पानी की पांच बोतलें खरीदेगा. इन प्लास्टिक की बोतलों में से 10 प्रतिशत से भी कम रिसाईकल हो रही है. यह एक गंभीर मुद्दा है. इस मुद्दे का समाधान खोजने के लिए, हमने कार्डबोर्ड बॉक्स का उपयोग करके पानी पैक करना शुरू कर दिया है, जिसमें भरपूर पानी रिसाइकिल करने योग्य बैग-इन-बॉक्स बैग में भर दिया जाता है.
इन जगहों पर ज्यादा होगा फोकस
सुनीथ ने कहा कि ये पानी के डिब्बे 5 लीटर और 20 लीटर के दो प्रकारों में उपलब्ध हैं. कीमत के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा कि 5 लीटर का डिब्बा 75 रुपये में उपलब्ध है जबकि 20 लीटर पानी के डिब्बे के लिए 120 रुपये का शुल्क (Tax) लिया जाता है. चैतन्य ने उल्लेख किया कि जमीनी स्तर पर बदलाव लाने के लिए उन्होंने अस्पतालों, होटलों और छोटे स्तर की पार्टियों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है जहां प्लास्टिक कचरा हमेशा ढेर होता है.
वहीं हैदराबाद और उसके आसपास के कुछ होटलों और अस्पतालों ने प्लास्टिक की पानी की बोतलों को इन इको-फ्रेंडली बोतल से बदलना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ऐसा बदलाव हर जगह आए. हाल ही में कुछ दिन पहले हैदराबाद के एक 45 वर्षीय प्रोफेसर ने प्लास्टिक से पेट्रोल बनाने का दावा किया है. इसके अलावा वह एक मैकेनिकल Engineer इंजीनियर भी हैं. उनका दावा है कि वह तीन चरणों की प्रक्रिया के जरिए प्लास्टिक से पेट्रोल बना सकते हैं.