रश्दी पर इमरान का कमाल

Update: 2022-08-21 05:16 GMT

डॉ वेदप्रताप वैदिक

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने कमाल की बहादुरी दिखाई है। इमरान ने सलमान रश्दी पर हमले की निंदा जिन शब्दों में की है, क्या भारत और पाकिस्तान के किसी नेता में इतना दम है कि वह भी उस हमले की वैसा निंदा करे? इमरान के इस बयान ने उनको दक्षिण एशिया ही नहीं, सारे पश्चिम एशिया का भी बड़ा नेता बना दिया है। इमरान खान ने लंदन के अखबार 'गार्जियन' को दी गई भेंटवार्ता में दो-टूक शब्दों में कह दिया कि रश्दी पर जो हमला हुआ वह 'अत्यंत भयंकर और दुखद' था। उन्होंने यह भी कहा कि सलमान रश्दी की किताब 'सेटेनिक वर्सेस' पर मुस्लिम जगत का गुस्सा बिल्कुल जायज है लेकिन भारत में पैदा हुए इस मुस्लिम लेखक पर जानलेवा हमला करना अनुचित है। पैगंबर मोहम्मद के लिए हर मुसलमान के दिल में कितनी श्रद्धा है, यह बात रश्दी को पता है। इसके बावजूद उसने ऐसी किताब लिख मारी।

इमरान ने अपने इसी नजरिए के कारण 10 साल पहले भारत में हुए एक लेखक सम्मेलन में भाग लेने से मना कर दिया था, जिसमें रश्दी भाग लेनेवाला था। लेकिन इस बार अमेरिका में चल रहे एक सम्मेलन में जब लेबनान में पैदा हुए एक मुस्लिम नौजवान ने रश्दी पर जानलेवा हमला कर दिया तो दक्षिण, मध्य और पश्चिम एशिया के नामी-गिरानी नेताओं को सांप सूंघ गया। वे डर गए कि उनकी हालत भी कहीं सलमान रश्दी जैसी न हो जाए। भारत के बड़े-बड़े सीनोंवाले नेताओं की भी छातियां सिकुड़ गईं। उन्हें भी डर लगा कि उनके साथ भी कहीं वैसा ही न हो जाए, जो नुपुर शर्मा के नाम पर हुआ है। लेकिन इमरान ने सिद्ध किया कि वह मुसलमान तो पक्का है लेकिन वह पूरा पठान भी है। वह सच बोले बिना रह नहीं सकता। जिस ईरान ने सलमान रश्दी की हत्या का फतवा 1989 में जारी किया था, उसका रवैया पहले के मुकाबले इस बार थोड़ा नरम था लेकिन उसमें भी हिम्मत नहीं थी कि वह इमरान की तरह दूध का दूध और पानी का पानी कर दे। इमरान खान ऐसे अकेले पाकिस्तान के बड़े नेता हैं, जो तालिबान से खुले-आम कह रहे हैं कि वे अफगान औरतों का सम्मान करें। लेकिन इमरान ने पिछले साल यह भी कहा था कि पश्चिमी राष्ट्र तालिबान को अपनी जीवन-पद्धति का अनुकरण करने के लिए मजबूर न करें। तालिबान ने गुलामी का जुआ उतार फेंका है याने अमेरिकियों को अफगानिस्तान से मार भगाया है। इमरान के रश्दी और तालिबान पर दिए गए बयानों से क्या पता चलता है? क्या यह नहीं कि इमरान मध्यम मार्ग अपना रहे हैं? एक ऐसा मार्ग, जिससे सत्य की रक्षा भी हो और कोई उससे आहत भी न हो। यही मार्ग असली भारतीय मार्ग है, जिसे गौतम बुद्ध ने भी प्रतिपादित किया था। संकीर्ण और सांप्रदायिक लोगों को यह बयान इमरान के लिए घाटे का सौदा लगेगा लेकिन इस बयान ने इस्लाम और पाकिस्तान की छवि को चमकाने का काम किया है।

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