'मैं भला शादी कैसे कर सकता हूं'...अदालत से आई चौंकाने वाली खबर

कहा कि वह तो किन्नर है.

Update: 2024-03-12 02:49 GMT
ग्वालियर: मध्य प्रदेश के ग्वालियर से एक हैरान कर देने वाली खबर आई है। दरअसल, एक महिला ने कोर्ट में अपने पति से गुजारा भत्ता के लिए केस दायर किया था। महिला का आरोप है कि उसका पति उससे अलग रहता है और खर्च के लिए पैसे नहीं देता है। लेकिन कुटुंब न्यायालय में सुनवाई के दौरान पति ने उस महिला को अपनी पत्नी मानने से ही इनकार कर दिया। साथ ही उसने कहा कि वह तो किन्नर है, वह भला शादी कैसे कर सकता है।
जानकारी के मुताबिक, महिला ने कुटुंब न्यायालय में एक वाद प्रस्तुत किया था। महिला ने बताया कि उसकी शादी 10 मार्च 1985 को हुई थी। यानी करीब 40 साल पहले। उस समय उसका पति सोने-चांदी की दुकान पर नौकरी करता था। साल 1990 तक दोनों यूपी के आगरा में अपने पैतृक मकान में रहे। इसी साल दोनों की उनके परिजनों से अनबन हो गई और वे उसी शहर में एक किराए के मकान में रहने लगे। कुछ समय बाद दोनों एमपी के ग्वालियर में शिफ्ट हो गए।
महिला का कहना है कि कुछ समय बाद उसके पति ने कहा कि उसकी आगरा में एक अच्छी नौकरी लग रही है। वह वहां अकेले रहकर काम करेगा और उसके पास आता-जाता रहेगा। पति ने उसे हर महीने 15 हजार रुपए देने को भी कहा। इतना कहकर वह ग्वालियर से आगरा चला गया। पति के जाने के बाद महिला उसका और पैसों को इंतजार करती रही। लेकिन न तो उसका पति लौटा और न ही पैसे भेजा। महिला ने आगरा में जब खोजबीन की तो पता चला कि उसके पति ने किन्नरों के साथ रहना शुरू कर दिया है।
इसके बाद महिला ने 9 दिसंबर 2015 को ग्वालियर के कुटुंब न्यायालय में गुजारा भत्ता के लिए आवेदन दिया। सुनवाई के दौरान पति ने कोर्ट में कहा कि वह तो किन्नर है, भला वह शादी कैसे कर सकता है। उसने किन्नरों के साथ की अपनी कई फोटो भी दिखाई। सुनवाई के दौरान महिला की एक रिश्तेदार ने गवाही भी दी कि वह उन दोनों की शादी के समय मौजूद थी।
कोर्ट में महिला विवाह संबंधी दस्तावेज पेश नहीं कर सकी। महिला के आधार कार्ड में उसके पति का नाम था। हालांकि उसके पति ने खुद को किन्नर बताते हुए अपना अलग नाम बताया। सुनवाई के बाद न्यायालय ने फैसला पति के पक्ष में ही दिया। कोर्ट ने महिला द्वारा पेश 15 हजार प्रतिमाह भरण-पोषण देने का आवेदन निरस्त कर दिया।
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