नई दिल्ली: श्रीलंका में आर्थिक हालात काफी खराब हो गए हैं. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे भाग गए हैं, राष्ट्रपतिभवन पर प्रदर्शनकारियों ने कब्जा जमा लिया है और सड़क पर लोगों का संघर्ष जारी है. स्थिति इतनी विक्राल है कि आम जनता को खाने के लाले पड़ रहे हैं, जरूरी वस्तुएं खत्म हो रही हैं और महंगाई सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है. इस संकट के समय में श्रीलंका को दुनिया से मदद की उम्मीद है. भारत से भी सहायता की अपेक्षा की जा रही है.
इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने श्रीलंका की वर्तमान स्थिति पर एक बयान जारी किया है. उनको पूरी उम्मीद है कि श्रीलंका इस स्थिति से उबर जाएगा. वे कहती हैं कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस श्रीलंका में बदल रही राजनीतिक परिस्थितियों से चिंतित है और इन पर अपनी नजर बनाए हुए है. आर्थिक चुनौतियों, बढ़ती कीमतों और भोजन, ईंधन तथा आवश्यक वस्तुओं की कमी ने वहां के लोगों के लिए भारी कठिनाईयां खड़ी कर दी हैं.
सोनिया गांधी आगे कहती हैं कि कांग्रेस पार्टी इस गंभीर संकट की घड़ी में श्रीलंका और वहां के लोगों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करती है और उम्मीद करती है कि वे इन विपरीत परिस्थितियों से उबरने में सक्षम होंगे. हम आशा करते हैं कि भारत श्रीलंका के लोगों और वहां की सरकार को इन कठिन परिस्थितियों से निपटने में सहायता करना जारी रखेगा.
इस पूरे संकट पर कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी बड़ा बयान दिया है. उनकी माने तो जब किसी भी देश में लोगों की स्वतंत्रता पर चोट की जाती है, उनके साथ समान व्यवहार नहीं किया जाता, तब ऐसी ही क्रांति आती है.
अब श्रीलंका में लोगों की इस क्रांति ने एक तरफ राष्ट्रपति को भागने पर मजबूर कर दिया है तो वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री का इस्तीफा हो गया है. इस समय श्रीलंका में प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया. पीएम ने ट्वीट कर कहा कि आज पार्टी नेताओं की बैठक में सभी नागरिकों की सुरक्षा समेत सरकार की निरंतरता को सुनिश्चित करने के लिए सर्वदलीय सरकार बनाने का फैसला लिया गया. मैं इस फैसले को आसान बनाने के लिए प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दूंगा.
जानकार बताते हैं कि वर्तमान स्थिति में श्रीलंका में जल्द ही चुनाव करवाए जा सकते हैं और एक नई सरकार का गठन संभव है.