भारत में ग्लूकोज मॉनिटरिंग बाजार 2033 तक दो प्रतिशत सीएजीआर की दर से बढ़ेगा: रिपोर्ट
नई दिल्ली: भारत में डायबिटीज के बढ़ते मामलों के बीच सोमवार को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में ग्लूकोज मॉनिटरिंग बाजार 2024-33 के दौरान दो प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ने का अनुमान है।
डेटा और एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबलडेटा की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में डायबिटीज के बढ़ते मामलों के साथ-साथ विश्वसनीय मॉनिटरिंग टूल्स तक सीमित पहुंच, एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती पेश करती है।
डायबिटीज मैनेजमेंट के लिए ग्लूकोज मॉनिटरिंग जरूरी है, फिर भी अफोर्डिबिलिटी और सटीकता प्रमुख बाधाएं बनी हुई हैं। 2024 में, भारत का ग्लूकोज मॉनिटरिंग बाजार एशिया-प्रशांत बाजार का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह स्थानीय जरूरतों के अनुरूप किफायती और इनोवेटिव सॉल्यूशन पर बढ़ते फोकस को दर्शाता है। ग्लोबलडाटा में चिकित्सा उपकरण विश्लेषक कंचन चौहान ने कहा, "भारत में ग्लूकोज मॉनिटरिंग सॉल्यूशन की बढ़ती उपलब्धता के बाद भी अफोर्डिबिलिटी, यूजर एजुकेशन और एक्सेसेबिलिटी को लेकर खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में एक बड़ा अंतर बना हुआ है।
स्थानीय स्तर पर मैन्युफैक्चर किए गए डिवाइस इस अंतर को खत्म कर सकते हैं। लेकिन इफेक्टिव डायबिटीज मैनेजमेंट के लिए एजुकेशन और सपोर्ट सिस्टम अहम बने रहेंगे।" चौहान ने कहा, "भारत में डायबिटीज का बोझ केयर डिलीवरी में अंतर को खत्म करने और डायबिटीज मैनेजमेंट को लगातार प्रमोट करने की तत्काल जरूरत को दिखाता है।
हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाना और कम्युनिटी लेवल पर बढ़ती जागरूकता डायबिटीज मैनेजमेंट के तरीके को बेहतर बना सकते हैं और देश भर में दीर्घकालिक स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।"
'रिसर्चएंडमार्केट्सडॉटकॉम' की एक हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि भारत में ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइस का बाजार 2024 में 366.53 मिलियन डॉलर का था। रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्वानुमान अवधि में 2030 तक 7.08 प्रतिशत की सीएजीआर के साथ प्रभावशाली वृद्धि का अनुमान है।
रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र और गुजरात में डायबिटीज के अधिक प्रसार और अधिक विकसित स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे के कारण ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइस बाजार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। सेल्फ मॉनिटरिंग ग्लूकोज डिवाइस के महत्व के बारे में बढ़ती जागरूकता ने भी इसे अपनाने को लेकर योगदान दिया।