Una. ऊना। सीटू के जिला सचिव गुरनाम सिंह ने बताया कि केंद्र की मोदी सरकार लगभग 11 साल से मजदूरों, किसानों पर आर्थिक संकट का भार डाल रही है। इसके खिलाफ पूरे देशभर में धरने प्रदर्शन व रैलियां की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने लखीमपुर खीरी में जो फैसले किए, उनको लागू नहीं किया जा रहा। किसानों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं। जहां तक किसानों की धान की उपज है, उसको हिमाचल, पंजाब इत्यादि में पूछा नहीं गया। हिमाचल में भी किसानों को मंडियों में लगातार कई दिन बैठना पड़ा। जिस तरह सरकार ने पहले सरकारी क्षेत्र को निजी करने के लिए पहले घाटे में लाया गया और बाद में निजीकरण कर दिया, उसी पर चलते हुए मोदी सरकार किसानों को तंग करने के लिए पुराने श्रम कानून जो रद्द किए, फिर लाने की ओर बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि मजदूरों के श्रम कानून जो 1947 से पहले और बाद में कुर्बानियों देने के बाद बनाए थे, उन सभी को बदलकर चार श्रम कोड में बदल दिया गया। जो देशभर के मजदूर वर्ग के हकों पर बहुत बड़ा हमला है। नए कानून के मुताबिक मजदूर न धरना प्रदर्षन, न रैली और हड़ताल भी नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि बड़े उद्योगपतियों को मजदूरों की खुली लूट करने का अंबानी अडानी की सलाह पर चार श्रम कोड बनाए हैं। मजदूरों को बंधुआ मजदूर की तरह बनाया जा रहे। गुरनाम सिंह ने कहा कि यही कारण है कि अब सीटू और किसान सभा धरने प्रदर्शन और रैलियां करने पर मजबूर हो रहे हैं। इस मौके पर सीटू के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार शर्मा, जिला सचिव गुरनाम सिंह, एटक के करनैल सिंह, केवल दास, चनन सिंह शामिल हुए।