Hamirpur. हमीरपुर। केंद्र सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को हमीरपुर जिला ने सार्थक कर दिखाया है। आज बेटा-बेटी में कोई अंतर नहीं समझा जा रहा जिसके परिणामस्वरूप लिंगानुपात में सकारात्मक सुधार हुआ है। हमीरपुर जिला की छह पंचायतें ऐसी हैं जिनमें बेटों से कहीं ज्यादा बेटियों ने एक साल में जन्म लिया है। नादौन उपमंडल की किटपल पंचायत में बेटों ने तीन गुणा ज्यादा बेटियों का जन्म हुआ है। वहीं, एक पंचायत ऐसी है जिसमें एक साल में सिर्फ एक बेटा पैदा हुआ जबकि आठ बेटियां इस संसार में आई हैं। जनवरी से लेकर दिसंबर तक के आंकड़ों में इन छह पंचायतों को लिंगानुपात में सबसे बेहतर आंका गया है।
हमीरपुर जिला के तहत आने वाले ब्लॉक भोरंज, बिझड़ी, हमीरपुर, नादौन, सुजानपुर और टौणीदेवी से एक-एक पंचायत को लिंगानुपात में बेहतर पाया गया है। भोरंज की ग्राम पंचायत बाहन्वीं में एक साल में 23 बच्चों ने जन्म लिया है। इनमें आठ बेटे और 15 बेटियां शामिल हैं। वहीं बिझड़ी ब्लॉक की टिक्कर राजपूतां पंचायत में एक साल में 10 बच्चे पैदा हुए जिनमें तीन लड़के और सात लड़कियां हैं।
इसी तरह हमीरपुर की ललीन पंचायत में एक साल में कुल नौ बच्चे पैदा हुए हैं, जिनमें एक लड़का व आठ लड़कियां शामिल हैं। उपमंडल नादौन की किटपल में वर्ष 2024 में 22 बच्चों का जन्म हुआ जिनमें पांच बेटे व 17 बेटियां जन्मी हैं। सुजानपुर की पनोह पंचायत को भी लिंगानुपात में बेहतर पाया गया है। यहां पर एक साल में जन्में 29 बच्चों में 10 बेटे व 19 बेटियां का आंकड़ा दर्ज हुआ है। टौणीदेवी के काले अबं पंचायत में एक साल में 14 बच्चों का जन्म हुआ। इनमें चार बेटे और दस बेटियां शामिल हैं। इन ब्लॉक के सीडीपीओ को तीन-तीन हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि महिला एवं बाल विकास विभाग की तरफ से जारी की गई है।