HP NEWS: हरित ऊर्जा के दोहन पर सुक्खू सरकार का फोकस

Update: 2024-07-30 10:23 GMT
Shimla. शिमला। हिमाचल प्रदेश हाइड्रो पावर जनरेशन के लिए जाना जाता है, मगर यहां हरित ऊर्जा का भी बड़ा भंडार है, जिसको भुनाने की पहल प्रदेश की वर्तमान सरकार कर रही है। मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में चल रही कांगे्रस सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र में हरित ऊर्जा पर फोकस किया है, जिसके तहत पर्यावरण संरक्षण के साथ नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को बल देना है। हिमाचल प्रदेश में सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिसमें रोजगार को भी जोड़ा जा रहा है। हिमाचल के बेरोजगार युवाओं को सौर ऊर्जा उत्पादन में जोडक़र सरकार बड़ा रोजगार देने पर काम कर रही है। राज्य की कुल चिन्हित जलविद्युत क्षमता लगभग 27436 मेगावाट है और दोहन योग्य विद्युत क्षमता 23750 मेगावाट है, जिसमें से 10781.88 मेगावाट का दोहन किया जा चुका है। राज्य के पर्यावरण को संरक्षित करने के उद्देश्य से सरकार वर्ष 2025 के अंत तक जलविद्युत, हाइड्रोजन व सौर ऊर्जा का दोहन करके प्रदेश को पहला हरित ऊर्जा राज्य बनाना चाहती है, जिसके लिए कई तरह के प्रयास प्रदेश में चल रहे हैं। ऊर्जा क्षेत्र में प्रदेश सरकार के इन प्रयासों से प्रदेश हरित उत्पादों की ओर उन्मुख होगा, जो राज्य के निर्यात में प्रीमियम और लाभ को बढ़़ाएंगे। वर्तमान प्रणाली का नवीनीकरण और राज्य के विकास के दृष्टिगत हरित ऊर्जा का दोहन अति-आवश्यक है। वर्तमान ऊर्जा नीति में आवश्यक बदलाव लाने और पांच मैगावाट क्षमता तक की सभी सौर ऊर्जा परियोजनाएं आवंटन के लिए खुली रखने के निर्देश सरकार ने दिए हैं। राज्य सरकार
सौर ऊर्जा संयंत्रों में निवेश भी करेगी।

सरकार ने बजट में 500 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाएं स्थापित करने का लक्ष्य रखा है, जिसके 32 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजना ऊना जिला के पेखूबेला में तैयार भी कर ली गई है। इसके साथ पावर कारपोरेशन दो और सौर ऊर्जा प्रोजेक्टों पर काम कर रहा है, जो कि ऊना व कांगड़ा में बनेंगे। पावर कारपोरेशन को सरकार ने 200 मैगावाट क्षमता की परियोजनाएं सौंपी हैं। इसके दृष्टिगत 70 मेगावाट क्षमता के लिए भूमि चिन्हित की जा चुकी है और अन्य स्थलों को भी शीघ्र ही अंतिम रूप दिया जाएगा। राज्य सरकार के हरित ऊर्जा दोहन के प्रयासों की बात करें, तो सरकार ने 150 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाएं निजी भागीदारी से हिम ऊर्जा द्वारा स्थापित करने का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए भी हिमाचल के लोगों से आवेदन मांगे थे और लोगों ने इसमें काफी ज्यादा रुझान भी दिखाया है। इन परियोजनाओं की क्षमता की श्रेणी 250 किलोवाट से एक मेगावाट होगी। प्रदेश सरकार ने हिमऊर्जा को एक ऐसा तंत्र विकसित करने के निर्देश दिए हंै, जिसमें 3 मेगावाट क्षमता से अधिक की सौर परियोजनाओं में राज्य को रॉयल्टी प्राप्त होने से वित्तीय लाभ मिल सके। हिम ऊर्जा को पांच मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना में राज्य के लिए पांच प्रतिशत प्रीमियम और पांच मेगावाट क्षमता से अधिक की सौर ऊर्जा परियोजनओं में 10 प्रतिशत हिस्सा सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। हिमाचल प्रदेश ऊर्जा निगम लिमिटेड को काशंग द्वितीय और तृतीय, शौंगटोंग व कड़छम आदि निर्माणाधीन ऊर्जा परियोजनाएं सौंपी गई हैं और इन परियोजनाओं पर तेजी के साथ काम किया जा रहा है। प्रत्येक परियोजना के लिए समयावधि निश्चित करने और इन सभी परियोजनाओं को वर्ष 2025 तक पूर्ण करने कालक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रदेश को देशभर में हरित ऊर्जा राज्य का मुकाम हासिल करने के लक्ष्य को पूरा करने में सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड का सहयोग भी संबल प्रदान करेगा। एसजेवीएनएल ने विद्युत उत्पादन क्षेत्र में बेंचमार्क स्थापित किया है। राज्य सरकार एसजेवीएनएल की आगामी ऊर्जा परियोजनाओं के लिए आधारभूत संरचना विकसित करने में मदद कर रही है।
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