HP NEWS: रसायनमुक्त खेती से जोड़े जाएंगे किसान

Update: 2024-07-29 10:04 GMT
Shimla. शिमला। हिमाचल प्रदेश की एक बड़ी आबादी कृषि और कृषि संबंधित कार्यों से आजीविका अर्जित करती है। मेहनतकश किसान खून-पसीना बहाकर खेतों से सोना उगाते हैं। अन्नदाता को उनकी मेहनत का वाजिब दाम मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अनेक महत्त्वकांक्षी योजनाएं शुरू की हैं। प्रदेश सरकार की राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना किसानों की आय में बढ़ोतरी का मार्ग प्रशस्त करेगी। योजना के प्रथम चरण में प्रत्येक पंचायत से दस किसानों को रसायनमुक्त खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। योजना के अंतर्गत लगभग 36 हजार किसानों को प्राकृतिक खेती से जोडऩे का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। योजना से जुडऩे वाले किसानों द्वारा प्राकृतिक रूप से तैयार गेहूं को 40 रुपए और मक्की को 30 रुपए प्रति किलो के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा। देश में गेहूं और मक्की पर दिया जाने वाला यह सबसे अधिक
न्यूनतम समर्थन मूल्य होगा।

वर्तमान में प्रदेश के एक लाख 78743 किसान-बागबान परिवारों ने प्राकृतिक खेती पद्धति को अपनाया है। प्रदेश में 24 हजार 210 हेक्टेयर भूमि पर इस विधि से खेती की जा रही है और चरणबद्ध तरीके से प्रदेश के 9.61 लाख किसान परिवारों को प्राकृतिक खेती से जोडऩे का लक्ष्य रखा है। योजना के अंतर्गत वित्त वर्ष 2023 -2024 में 1275.31 लाख रुपए व्यय कर 37 हजार 87 किसानों को लाभान्वित किया गया और 13 हजार 176 हेक्टेयर भूमि को प्राकृतिक भूमि के अधीन लाया है। प्राकृतिक खेती उत्पादों की बिक्री के लिए दस मंडियों में स्थान निर्धारित कर आधारभूत अधोसंरचना का निर्माण किया जा रहा है। इस पहल के तहत अभी तक प्रदेश के 76,000 से अधिक प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों का पंजीकरण किया जा चुका है और 74283 किसानों-बागबानों को प्रमाण-पत्र दिए जा चुके हैं। यह प्रमाणी करण पूरी तरह से निशुल्क है और पार्टिसिपेटरी गारंटी सिस्टम द्वारा स्थापित मानकों को भी पूरा करता है। प्रदेश सरकार द्वारा प्रत्येक गांव में प्राकृतिक खेती संसाधन भंडार खोलने के लिए दस हजार रुपए तक की सहायता राशि प्रदान करने का भी प्रावधान है।
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