HP NEWS: मिंजर मेले में तीस साल से कुंजड़ी मल्हार गा रहे अजीत भट्ट

Update: 2024-07-28 09:56 GMT
Chamba. चंबा। जनपद के ऐतिहासिक मिंजर मेले के दौरान कुंजड़ी मल्हार की पारंपरिक लोकगायन की पारिवारिक विरासत को अजीत भट्ट बखूबी सहेजे हुए हैं। अजीत भट्ट पिछले तीस वर्षों से मिंजर मेला के सांस्कृतिक मंच पर कुंजड़ी मल्हार गायन कर युवाओं को इन गीतों की विशेषता से रूबरू करवा रहे हैं। इसके लिए अजीत भट्ट को वर्ष 2015 में हिमाचलश्री पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। इसके अलावा अजीत भट्ट को प्रदेश के अग्रणी मीडिया ग्रुप ‘दिव्य हिमाचल’ की ओर से वर्ष 2014 में एक्सीलेंस अवार्ड से नवाजा जा चुका है। सावन माह के दौरान बारिश की रिमझिम फुहारों के दौरान एक अजब सा माहौल होता है। आसमान में तैरते बादलों के समूह विरह की याद दिलाते हैं। इसी बीच आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेला के दौरान पारंपरिक ऋतु गीत गाए जाने की पंरपरा है। इन ऋतुकालीन गीतों को कुंजड़ी मल्हार गायन की शैली से जाना जाता है। सदियों से मिंजर मेले के दौरान कुंजड़ी मल्हार का गायन की
परंपरा चली आ रही है।

सांस्कृृतिक संध्या की शुरुआत पारंपरिक कुंजड़ी मल्हार गायन से होती है। चंबा के इस पारंपरिक कुंजड़ी मल्हार गायन को एक परिवार विशेष वर्षो से सहेजे हुए है। कुंजड़ी मल्हार गायन के इस परिवार के मुखिया सुप्रसिद्ध गायक स्व. प्रेम सिंह थे। चंबा जनपद आज दिन तक स्व. प्रेम सिंह व सहयोगी स्व. परजा राम, स्व. गुरदिता राम, स्व. हरि सिंह व स्व. प्रेम सिंह की कुंजडी मल्हार गायन की बेहतरीन शैली व जुगलबंदी को नहीं भूला पाए हैं। एक समय स्व. प्रेम सिंह के निधन उपरांत प्रतीत होने लगा कि उनका स्थान अब सदैव के लिए रिक्त हो गया। मगर इसी घराने के युवा गायक अजीत भट्ट ने इस गायन शैली की परंपरा को आगे बढ़ाया। अजीत भट्ट के गायन में अपने ताया स्व. प्रेम सिंह के गायन की विशेषता झलकती है। वर्तमान में अजीत भट्ट के सहयोगी के तौर पर भीम वर्धन, तरूण वर्धन, भूपेंद्र अहीर, पुष्प भटट, अंक भटट, सुनील चौहान, त्रिलोक सूर्या, विशाल व अजय हितैषी जुगलबंदी करके युवा पीढी को पारंपरिक कुंजडी मल्हार की विशेषता से रू-ब-रू करवा रहे हैं।
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