Shimla. शिमला। प्रदेश सरकार ने होम स्टे और पीजी संचालकों को कर्मिशल रेट पर टैक्स और अन्य शुल्क लगाने का फैसला लिया है। इस फैसले को नगर निगम शिमला अब जल्द ही लागू करने वाला है। ऐसे में अब नगर निगम ने शिमला शहर के सभी होम स्टे और पीजी संचालकों को सूचित किया है कि होम स्टे संचालक और पीजी संचालक एक महीने के अंदर कर्मिशल आईडी बना लें। इसके बाद नगर निगम की टीम पूरे शहर के सभी पीजी और होम स्टे का निरीक्षण करेगा। यदि एक महीने में भी यदि संचालक नई आईडी नहीं बनाते हैं तो नगर निगम बैक डेट से संचालकों से प्रॉपर्टी टैक्स, कूड़ा शुल्क सहित अन्य सभी प्रकार के शुल्क पेनलटी के साथ वसूलेंगे। वहीं, यदि कोई बिना लाइसेंस के पीजी चलाते हैं तो नगर निगम उन पर भी कार्रवाई अमल में लाने वाला है। नगर निगम के हाउस में कंगनाधार वार्ड के पार्षद रामरतन वर्मा ने कई बार पीजी संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने हाउस को जानकारी दी थी कि शहर में कई पीजी संचालक बिना अनुमति के पीजी चला रहे हैं। इनकी जांच की जाए।
प्रदेश सरकार के फैसले के बाद अब नगर निगम की टीम पूरे शहर के भवनों की जांच करने वाला है और पीजी संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने वाला है। फिलहाल शहरवासियों को एक महीने का समय दिया गया है। प्रदेश सरकार के आदेशों के बाद अब हमने पूरे शहरवासियों को सूचित किया है कि जो भी होम स्टे और पीजी संचालक है वह एक महीने के अंदर कमर्शियल आईडी बना लें। यदि यह आईडी नहीं बनाते हैं तो पहले तो इनसे बैक डेट से टैक्स और सभी प्रकार के शुल्क लिए जाएंगे और उसके बाद बिना अनुमति के चल रहे पीजी संचालकों पर कार्रवाई की जाएगी। शिमला शहर में पीजी चलाना लोगों ने कमाई का साधन बना दिया है और बहुत से ऐसे भी पीजी संचालक है जिन्होंने बिना लाइसेंस के पीजी शुरू किया है। ऐसे में अब बिना अनुमति के पीजी संचालकों पर कड़ी कार्रवाई होने वाली है और यदि कोई पीजी चलाना चाहता है तो उसे कमर्शियल आईडी बनानी पड़ेगी और उसे प्रॉपर्टी टैक्स के साथ एमसी के सभी प्रकाश के शुल्क भी कमर्शियल रेट पर ही देने होंगे। नगर निगम शिमला के पास अभी तक 57 पीजी और होम स्टे संचालक पंजीकृत है लेकिन नगर निगम के अनुसार यह आंकड़ा बहुत कम है। ऐसे में नगर निगम अब फिल्ड में कर्मचारियों को भेजकर इसकी जांच करवाएंगे और बिना पंजीकृत के चलाए जा रहे होम स्टे और पीजी संचालकों पर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।