TMC. टीएमसी। डा. राजेंद्र प्रसाद राजकीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा महाविद्यालय टांडा अस्पताल में हिमकेयर तथा आयुष्मान के अंतर्गत मुफ्त कैश लैस उपचार की सुविधा होने के बावजूद मरीजों को प्राइवेट केमिस्टों की दुकानों से महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं। एक तरफ तो सरकारी अस्पतालों में मुफ्त के उपचार की व्यवस्था का प्रचार बड़े जोरों-शोरों से अलापा जाता है, परंतु धरातल पर तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही है। आयुष्मान तथा हिमकेयर हैल्थ कार्ड धारकों को तीन साल तक पांच लाख रुपए तक की मुफ्त उपचार की कैशलैस सुविधा मुहैया की गई है , लेकिन धरातल में मरीजों को पूरी सुविधा नहीं मिल पा रही है। एक तरफ तो एडमिट मरीजों को ऑपरेशन का कुछ सामान नकद लेना पड़ रहा है।
दूसरी और जो मरीज उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती हैं, उन्हें भी दवाइयां प्राइवेट दुकानों से नकद खरीदनी पड़ रही हैं। टांडा अस्पताल में एडमिट मरीजों ने बताया कि आयुष्मान तथा हिमकेयर हैल्थ कार्ड होने के बावजूद हमें मुफ्त में दवाइयां नहीं मिल रही हैं और नकद पैसे देकर हजारों रुपए की दवाइयां प्राइवेट दुकानों से लेनी पड़ रही हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर आवश्यक दवाओं की उपलब्धता 2015 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत नि:शुल्क दवा सेवा पहल (एफडीएसआई) शुरू की गई थी, जिसके अंतर्गत लगभग सभी दवाइयां हैल्थ कार्ड धारकों को मुफ्त में मुहैया करवाने की बात की गई है। कुछ डाक्टरों और प्राइवेट केमिस्टों की गुगली के बीच गरीब मरीज पिस रहे हैं।