Shimla. शिमला. प्रदेश हाई कोर्ट ने पीडि़ता की पहचान गुप्त रखने के लिए जिला अदालतों को कड़े निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने इन अदालतों को पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों की पूर्णत: अनुपालना सुनिश्चित करने को कहा है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने पोक्सो से जुड़े मामले का निपटारा करते हुए कहा कि मौजूदा मामले में ट्रायल कोर्ट के रिकार्ड पर ऐसा कोई भी तथ्य नहीं है, जो यह दर्शाता हो कि अधिनियम की धारा 36 के तहत स्क्रीनिंग की प्रक्रिया का पालन पीडि़ता का साक्ष्य दर्ज करवाने के समय किया गया हो। कोर्ट ने रिकार्ड के अवलोकन के बाद पाया कि मुकद्दमे के दौरान पीडि़ता, उसकी बहनों, मां के साथ-साथ उसके गांव और स्कूल के नाम का खुलासा किया गया है.
जो कि वैधानिक जनादेश का उल्लंघन है। इसलिए कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश की सभी विशेष अदालतों को पॉक्सो अधिनियम के तहत यह सुनिश्चित करने के लिए सभी उपाय करने का निर्देश दिया है। उक्त अधिनियम की धारा 36 के तहत पीडि़त बच्चे को इस तरह से साक्ष्य देने की अनुमति देती है कि वह साक्ष्य दर्ज करते समय आरोपी के संपर्क में न आए और ऐसे बच्चे को वीडियो कान्फे्रंसिंग के माध्यम से या एकल दृश्यता दर्पण या पर्दे का उपयोग करके बयान दर्ज करने की अनुमति देती है। अधिनियम की धारा 37 में कहा गया है कि मामलों की सुनवाई पीडि़त बच्चे के माता-पिता या किसी अन्य व्यक्ति की उपस्थिति में बंद कमरे में की जाएगी, जिस पर बच्चे को भरोसा है। कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को इस फैसले की एक प्रति हिमाचल प्रदेश की सभी जिला एवं सत्र न्यायाधीशों के साथ.साथ विशेष अदालतों (पॉक्सो) को भेजने का निर्देश दिया है.