हाई कोर्ट नाराज, पुलिस को सुनाई खरी-खोटी, कहा- गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ एक भी एफआईआर क्यों नहीं?, जानिए पूरा मामला
कोरोना काल में बिना सोशल डिस्टैंसिंग के रैली को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट ने बेलागावी के पुलिस कमिश्नर को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने पूछा कि भाजपा की चुनावी रैली में शामिल होने वाले लोगों और अमित शाह के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई? बता दें कि 17 जनवरी को बेलागावी के डिस्ट्रिक्ट स्टेडियम में गृह मंत्री अमित शाह की अगुआई में रैली का आयोजन किया गया था। कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि इस जनसभा में हजारों लोग शामिल हुए थे और कोरोना के नियमों का पालन नहीं करवाया गया।
चीफ जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका और सूरज गोविंदराज की डिविजन बेंच पुलिस कमिश्नर को इतनी ढील देने के लिए लताड़ लगाई। पुलिस कमिश्नर की तरफ से दिए गए जवाब को लापरवाही बताते हुए कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की।
जज ने कहा, 'शायद कमिश्नर को कर्नाटक महामारी ऐक्ट 2020 के बारे में जानकारी नहीं है। शायद 15 अप्रैल को राज्य सरकार की तरफ से जारी किए गए आदेशों के बारे में पुलिस कमिश्नर नहीं जानते हैं।'
कोर्ट ने कहा, "तस्वीरों में दिखाई देता है कि 17 जनवरी को बिना मास्क और बिना सोशल डिस्टैंसिंग के बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे। कमिश्नर के जवाब में पता चलता है कि एक भी एफआईआर फाइल नहीं की गई है। पूरी एफिडेविट पढ़ने के बाद पता चलता है कि इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया। लगता है कि कमिश्नर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाकर ही खुश हैं। कमिश्नर स्पष्ट करें कि गंभीर परिस्थिति में नियमों का उल्लंघन होने के बावजूद केस क्यों नहीं दर्ज किया गया?"
हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी लेट्जकिट फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए की जिसमें राज्य में कोरोना नियमों का सख्ती से पालन करवाने की मांग की गई थी। बता दें कि 15 अप्रैल को कोर्ट ने आदेश दिया था कि अगर इस तरह का कोई कार्यक्रम आयोजित किया जाता है तो न केवल आयोजक बल्कि शामिल होने वाले सभी लोगों पर कार्रवाई की जाए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि चीफ मिनिस्टर के बेटे बीवाई येदुरप्पा कोलार के मंदिर में बर्थडे मनाने कैसे पहुंच गए। इस मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 4 जून को होनी है।