मंकीपॉक्स पर बोले स्वास्थ्य विशेषज्ञ, महामारी बनने का खतरा कम

Update: 2022-05-22 01:45 GMT

कोविड के बाद अब दुनिया पर मंकीपॉक्स वायरस का खतरा मंडरा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे लेकर चेताया है कि मंकीपॉक्स संक्रमण तेज हो सकता है.अब तक अफ्रीका, यूरोप के नौ देशों के अलावा अमेरिका, कनाडा व आस्ट्रेलिया में भी इसके मामले मिले हैं. इसे देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने भी राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और आईसीएमआर को स्थिति पर कड़ी नजर रखने का निर्देश दिया है. हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि घबराने की जरूरत नहीं है.

विश्व स्वास्थ्य निकाय ने कहा, स्थिति विकसित हो रही है और डब्ल्यूएचओ को उम्मीद है कि गैर-स्थानिक देशों में मंकीपॉक्स के अधिक मामले होंगे. तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि आगे मंकीपॉक्स के प्रसार को रोका जा सके. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपडेट किया है. डब्ल्यूएचओ (WHO) के मुताबिक मंकीपॉक्स (Monkeypox) का पहला मामला लंदन में 5 मई को आया था, जब एक ही परिवार के 3 लोगों के बीच यह संक्रमण देखा गया. इसकी जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन को 13 मई को दी गई थी.

दरअसल अगर इसकी तुलना कोरोना से की जाए तो ये कोरोना से बहुत ही कम खतरनाक वायरस है. एक्सपर्ट की राय है कि ये बीमारी महामारी नहीं बन पाएगी क्योंकि ये कोरोना की तरह से तेजी से नहीं फैलती है. इससे संक्रमित होना उतना आसान नहीं है जितना कोरोना से संक्रमित होना है. इस बीमारी के मामलों को आसानी से आइसोलेट किया जा सकता है और इन्हें आसानी से एक जगह पर रोका जा सकता है.

एयरपोर्ट पर अफ्रीकी देशों से आने वाले यात्रियों पर नजर रखी जा रही है. जरूरत पड़ने पर इनके सैंपल लेकर पुणे की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में जांच के लिए भेजे जा सकते हैं. मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox Virus) किसी व्यक्ति में फैलने में 5 से 12 दिन लेता है. यह बीमारी संक्रमित जानवर से तो फैल ही सकती है. उसके अलावा संक्रमित व्यक्ति की लार से या त्वचा में संपर्क में आने से जी दूसरे व्यक्ति को यह बीमारी हो सकती है. आमतौर पर 20 दिन के अंदर यह बीमारी खुद ही ठीक हो जाती है. कुछ मामलों में अस्पताल में इलाज करने की जरूरत पड़ती है. स्मॉल पॉक्स की तरह ही मंकीपॉक्स के मरीज हो भी आइसोलेशन में रखने की जरूरत होती है, ताकि उससे यह बीमारी दूसरे को ना फैले.

अभी तक जो रिसर्च हुई है वो ये बताती है कि स्मॉलपॉक्स के खिलाफ प्रयोग किए जाने वाले वैक्सीन मंकीपॉक्स के खिलाफ भी कारगर साबित हुए हैं. इन वैक्सीन को 85 फीसदी तक कारगर साबित माना गया है. अमेरिका के फूड एंड ड्रग एसोसिएशन ने साल 2019 में Jynnoes नाम की वैक्सीन की मंजूरी दी थी. ये वैक्सीन चेचक और मंकीपॉक्स दोनों में ही इस्तेमाल की जाती है.


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