HC ने स्वास्थ्य सचिव से मांगी जानकारी

Update: 2024-09-03 10:06 GMT
Shimla. शिमला। हाई कोर्ट ने सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़े पदों को भरने में देरी पर कड़ा संज्ञान लिया है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने स्वास्थ्य सचिव से पूछा है कि प्रदेश के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों समेत अन्य स्टाफ के 1450 रिक्त पड़े पदों को कब तक भर लिया जाएगा। कोर्ट ने सरकार के इन पदों को भरने के लिए अपनाई जा रही टालमटोल रणनीति को स्पष्ट करने को भी कहा। सरकार की ओर से पेश स्टेट्स रिपोर्ट में बताया गया कि विभिन्न पीएचसी में 25 मेडिकल ऑफिसरों की तैनाती कर दी गई है, जबकि जिन 49 सरप्लस मेडिकल ऑफिसरों की तैनाती पहले नहीं की जा सकी थी उनमें से 33 चिकित्सकों तैनाती भी रिक्त पदों पर कर दी गई है। कोर्ट को बताया कि 200 डाक्टरों सहित स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े अन्य 1450 पदों को भरने का मसौदा भी
तैयार किया जा रहा है।

कोर्ट ने स्टेट्स रिपोर्ट का अवलोकन करने पर पाया कि इसमें उक्त पदों को भरने की कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है। कोर्ट ने सरकार को 16 सितंबर तक इस बाबत स्थिति स्पष्ट करने के आदेश जारी किए। जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट सरकार की ओर से बताया गया था कि रोहडू हास्पिटल में 33 स्टाफ नर्सों के पदों में से 13 पद लोक सेवा आयोग द्वारा तैयार किए गए वेटिंग पैनल से भरे जाने है, जबकि 20 पद बैचवाइज भरे जाने है। कोर्ट ने आश्चर्य प्रकट किया था कि जो बात सरकार की ओर से अभी बताई जा रही है वही बात दो महीने पहले भी कोर्ट को बताई गई थी। एक दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार पर हाई कोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है। अस्पताल में हर रोज 400 के करीब ओपीडी रहती है। ऐसे में अस्पताल में अभी नर्सों के 31 पदों में से लगभग आधे पद खाली चल रहे है। इसी तरह फार्मासिस्ट के नौ पदों में से अधिकतर पद खाली पड़े हैं। खबर में बताया गया था कि यदि कोई पैरा मेडिकल स्टाफ कार्य दिवस के दौरान छुट्टी पर जाता है, तो चिकित्सकों को खुद ही मरहम पट्टी करनी पड़ती है। मामले पर सुनवाई 16 सितंबर को होगी।
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