HC ने PFI सदस्यों को बेल देने से किया इनकार

Update: 2024-06-12 01:44 GMT

मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट Bombay High Court ने मंगलवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया PFI के तीन कथित सदस्यों को जमानत देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि उन्होंने 2047 तक भारत को इस्लामिक देश में बदलने की साजिश रची थी. जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस श्याम चांडक की बेंच ने रजी अहमद खान, उनैस उमर खैय्याम पटेल और कय्यूम अब्दुल शेख की जमानत याचिका खारिज कर दी. उन पर 14 जून, 2022 को मालेगांव में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया कार्यालय के उद्घाटन में शामिल होने और फिर मुस्लिम समुदाय के मुद्दों को उठाने और किसी भी तरीके को अपनाकर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए मुस्लिम समुदाय की एकता की जरूरत का मुद्दा उठाने का आरोप लगाया गया था.

Justice Ajay Gadkari बेंच ने अपने आदेश में कहा कि आरोपियों ने आपराधिक बल का इस्तेमाल करके सरकार को डराने की साजिश रची. कोर्ट ने कहा, "एफआईआर में खुद ही सब कुछ साफ है. उन्होंने 2047 तक भारत को इस्लामिक देश बनाने की साजिश रची. वे न केवल प्रचारक हैं, बल्कि अपने संगठन के विजन-2047 दस्तावेज को लागू करने का इरादा रखते हैं." कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपियों ने आपराधिक बल का इस्तेमाल करके सरकार को डराने के लिए समान विचारधारा वाले लोगों को अपने साथ शामिल होने के लिए उकसाया. इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि अपीलकर्ताओं ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर व्यवस्थित रूप से ऐसी गतिविधियां की हैं, जो राष्ट्र के हित और अखंडता के लिए हानिकारक हैं.

court करीब डेढ़ साल से जेल में बंद आरोपियों की जमानत याचिका नासिक की एक अदालत ने खारिज कर दी थी. इसके बाद आरोपियों ने अपने वकील अशोक मुंदरगी, मिहिर देसाई और हसनैन काजी के जरिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. अभियोजन पक्ष के मामले को देखने के बाद, बेंच ने पाया कि आरोपियों ने सोशल मीडिया ग्रुप पर 'विजन-2047' नाम से एक डॉक्यूमेंट शेयर किया था. बेंच ने कहा, "विजन-2047 दस्तावेज को देखने से पता चलता है कि यह भारत को इस्लामिक देश में बदलने की एक भयावह साजिश है."

अपने 15 पेज के आदेश में बेंच ने कहा कि यह अपीलकर्ताओं द्वारा उनके षड्यंत्र के तहत किए गए जघन्य कृत्य को अंजाम देने की साजिश है, जो भारत सरकार को डराने या उसके खिलाफ युद्ध छेड़ने की कोशिश करने की साजिश है.

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