दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए GST नेटवर्क को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत लाने का फैसला किया है। इसके बाद अब जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क) से जुड़े आपराध के मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) सीधा दखल दे सकेगी। साथ ही GST नेटवर्क का पूरा डेटा भी ईडी से शेयर किया जा सकेगा। केंद्र सरकार ने जीएसटी नेटवर्क को पीएमएलए के तहत लाने के लिए शनिवार एक अधिसूचना जारी की है। ऐसे में जीएसटी में गड़बड़ी करने वाले व्यापारी, कारोबारी और फर्म के खिलाफ ED एक्शन ले सकेगी।
सरकार की ओर से किए गए इस फैसले के बाद जीएसटी कलेक्शन में होने वाली अनियमितताओं को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकेगा। क्योंकि GST से जुड़े अपराधों की जांच ईडी मनी लॉन्ड्रिंग के रूप में कर सकेगी। इस फैसले के बाद फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट लेना, फर्जी चालान आदि जैसे जीएसटी अपराध धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) में शामिल होंगे। बता दें कि काला धन अर्जित करने वालों पर लगाम कसने के लिए पीएमएलए साल 2002 में लाया गया था, जिसका मकसद गैर कानूनी काले धन को सफेद करने के तौर-तरीकों पर रोक लगाना है। यह कानून मनमोहन सरकार में साल 2005 में लागू हुआ।
हालांकि इसमें समय-समय पर संशोधन किया गया। जिसमें ईडी की शक्तियां बढ़ीं। प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट पीएमएलए के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) को अधिकार मिले, जिसके तहत ईडी मनी लांड्रिग के मामलों में एक्शन लेती नजर आती है।