दादी को मिली जीत, अब बच्ची रहेगी साथ, पति-पत्नी में हो चुका था तलाक, जाने- क्या है पूरा मामला
पारिवारिक रिश्तों में आने वाली कड़वाहट का असर परिवार के बच्चों पर किस कदर पड़ता है इसका एक उदाहरण गुजरात के सूरत शहर से सामने आया है. माता-पिता द्वारा दुत्कारी गई एक पौत्री को पाने के लिए दादी को कोर्ट की शरण लेनी पड़ी. कोर्ट के फैसले ने दादी और पौत्री का सुखद मिलन तो करवा दिया लेकिन जो कुछ कोर्ट में हुआ उससे वहां मौजूद सभी की आंखें नम जरूर हो गईं.
दादी ने जीती बच्ची की कस्टडी
सूरत की कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाया कि एक पौत्री अपनी दादी के साथ रह सकती है. कोर्ट के इस फैसले ने सूरत की दादी और पौत्री की आंखों में खुशी की लहर दौड़ा दी थी. दरअसल सूरत के उधना इलाक़े में रहने वाले पति शांतिलाल कपूरे और उनकी पत्नी रत्नबेन कपूरे का शादी के 12 साल बाद डिवोर्स हो गया था. कपूरे दंपति की तीन संतानों में दो बेटी और एक बेटा है. डिवोर्स के बाद पत्नी एक बेटी को साथ में लेकर अपने गांव महाराष्ट्र चली गई थी जबकि एक बेटी और बेटा अपनी दादी और पिता के साथ सूरत में रहते थे.
क्या है पूरा विवाद?
25 दिन पहले 11 वर्षीय बेटी दीपिका को उसके पिता झूठ बोलकर ले गया और बाल आश्रम में छोड़ आया था. शांतिलाल कपूरे की मां जीजाबाई पौत्री को लेकर लगातार अपने बेटे से पूछती रही लेकिन उसने पौत्री को लकर कोई जबाब नहीं दिया. बच्ची की दादी का कहना है कि मेरा बेटा शराबी है और वो बच्चे के साथ सभी कागज भी लेकर गया था, तब ही से मेरा जी घबरा रहा था. लेकिन शाम को वो बच्ची को लेकर नहीं आया और जब पूछताछ की तो मालूम चला कि वो बच्ची को बाल आश्रम छोड़ कर आया है. वो दूसरी शादी करना चाहता है. फिर मैं बच्ची को मिलने के लिए बाल आश्रम गई तो बच्ची बार बार चिल्ला रही थी कि उसे आश्रम में नहीं रहना.
कोर्ट का क्या रहा आदेश?
अंत में पौत्री को पाने के लिए दादी जीजाबाई ने वकील विलास भाई पाटिल की मदद से सूरत कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने दीपिका के पिता शांतिलाल और बाल आश्रम को नोटिस जारी कर बच्ची को कोर्ट में पेश करने को कहा.
मंगलवार को दीपिका कोर्ट में पेश हुई और उससे दादी के साथ जाने को लेकर पूछा तो बच्ची ने साफ कर दिया कि उसे अपनी दादी के साथ रहना है. इस पर सूरत कोर्ट ने पौत्री को दादी के साथ रहने का आदेश दिया. अब कोर्ट के आदेश के बाद पौत्री दीपिका और दादी जीजाबाई खासा खुश हैं.