पिछले दो सालों में गड़बड़ी रोकने के लिए मनरेगा के नियमों को सख्त करेगी सरकार
पिछले दो वर्षों में मनरेगा में काफी गड़बड़ियों की शिकायत मिलने के बाद सरकार इस योजना को सख्त बनाने की तैयारी कर रही है।
नई दिल्ली, पिछले दो वर्षों में मनरेगा में काफी गड़बड़ियों की शिकायत मिलने के बाद सरकार इस योजना को सख्त बनाने की तैयारी कर रही है। केंद्र ने 2022-23 के लिए मनरेगा के तहत 73,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान (आरई) में दिए गए 98,000 करोड़ रुपये से 25 प्रतिशत कम है। अगले वित्त वर्ष के लिए आवंटन, चालू वित्त वर्ष के लिए बजट अनुमान (बीई) के बराबर है।
सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि पिछले दो वर्षों में बजट अनुमान के मुकाबले संशोधित अनुमान काफी अधिक रहा है और यह पाया गया है कि लाभार्थियों को इसका पूरा लाभ नहीं मिल रहा है और बिचौलिए योजना के तहत उनका नाम दर्ज करने के लिए पैसे ले रहे हैं। अधिकारी ने बताया, 'प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) सीधे व्यक्ति तक धन पहुंचाने में सफल रहा है, लेकिन फिर भी ऐसे बिचौलिए हैं, जो लोगों से कह रहे हैं कि मैं आपका नाम मनरेगा सूची में डाल दूंगा, लेकिन आपको नकद हस्तांतरण के बाद वह राशि मुझे वापस देनी होगी। यह बड़े पैमाने पर हो रहा है।'
अधिकारी ने कहा कि चूंकि लाभार्थी बिचौलिए को कुछ हिस्सा दे रहा है, इसलिए वह काम पर भी नहीं जा रहा और इसलिए कोई काम नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय इस पर सख्ती करेगा। अधिकारी ने कहा, 'सरकार पिछले दो वषरें में मनरेगा कोष आवंटित करने में बहुत उदार रही है। 2020-21 में 1.11 लाख करोड़ रुपये जारी किए, जबकि 2014-15 में यह आंकड़ा 35,000 करोड़ रुपये था।'