नई दिल्ली: मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई द्वारा दिए गए अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस बुधवार को ही स्वीकार हो जाने के बाद गुरुवार को इस पर चर्चा की तारीख को लेकर लोक सभा में सरकार और विपक्ष आमने-सामने आ गए।
गुरुवार को लोक सभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस स्वीकार होने के बावजूद विधेयकों को पेश कर पारित करवाने पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस स्वीकार होने के बाद पहले इस पर तुरंत चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने इस पर पॉइंट ऑफ ऑर्डर का मसला उठाते हुए पीठासीन सभापति किरीट प्रेमजी भाई सोलंकी से फैसला देने की मांग की।
कांग्रेस नेता के बयान पर लोक सभा में जवाब देते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि इन लोगों ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है, मामला स्पीकर के संज्ञान में है, 10 दिन का समय है और 10 दिन के समय के अंदर स्पीकर जब भी निर्धारित करेंगे, सरकार चर्चा के लिए तैयार है। जोशी ने कहा कि सरकार चर्चा से भाग नहीं रही है और सरकार के पास पूरा नंबर है। देश की जनता का प्रधानमंत्री पर पूरा विश्वास है।
सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर अधीर रंजन चौधरी ने फिर से पीठासीन सभापति से रूलिंग देने की मांग की। इस पर पीठासीन सभापति किरीट प्रेमजी भाई सोलंकी ने लोक सभा अध्यक्ष की तरफ से नियमों का हवाला देते हुए कहा कि अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस स्वीकृत हो जाने के बाद स्पीकर दस दिनों के अंदर सभी दलों से चर्चा करने के बाद इस पर चर्चा की तारीख और समय निर्धारित करते हैं।
विपक्षी सांसदों ने आसन के इस फैसले पर भी अपना ऐतराज जताते हुए सदन में मणिपुर पर अपनी मांग को लेकर नारेबाजी करना जारी रखा।