मालाबार में होगा चार देशों का युद्धाभ्यास...भारत, अमेरिका और जापान के जांबाज सैनिक होंगे शामिल

Update: 2020-10-21 14:21 GMT

चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आता. इसी वजह से वो पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ चुका है. इसके बावजूद चीन की हालत कुछ ऐसी है, जैसे रस्सी जल गई मगर बल नहीं गया. वो लगातार एलएसी पर भारत के साथ उलझने की कोशिश करता रहता है. वो भारत के साथ-साथ ताइवान और अमेरिका को भी घुड़की दे रहा है. लेकिन उसे नहीं पता कि भारतीय सेना उसके होश उड़ाने के लिए पूरी तरह से तैयार है.

फाइटर जेट, आधुनिक हेलिकॉप्टर, गाइडेड मिसाइल, मिसाइल डेस्ट्रॉयर, सबमरीन, एंटी सबमरीन और एयरक्राफ्ट कैरियर, जी हां जब ये सारे विनाशक बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में एक साथ उतरेंगे. तब चीन का कलेजा कांपेगा. पानी पर भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के हथियार जब एक साथ गरजेंगे तो ड्रैगन की दादागीरी के टुकड़े हवाओं में बिखर जाएंगे. चार चार देशों के हक्काने एयरक्राफ्ट करियर जब साथ साथ चलेंगे तो जिनपिंग की नींद उड़ जाएगी.

इस बार एक बार फिर भारत, अमेरिका और जपान बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में संयुक्त युद्धाभ्यास की तैयारी कर रहे है. लेकिन ख़ास बात ये है कि इस बार भारत, अमेरिका और जापन के साथ इस युद्धाभ्यास में आस्ट्रेलिया भी भाग लेने जा रहा है. कहने का मतलब ये कि ये युद्धाभ्यास चीन को एक साफ-साफ़ संदेश है कि अगर उसने एलएसी पर या समंदर में अंतरराष्ट्रीय कायदे क़ानूनों से छेड़छाड़ करने की कोशिश की, तो इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं.

चीन अकेले भारत से ही नहीं उलझ रहा. वो ताइवान और अमेरिका के साथ साउथ चाइना सी में टकराने की जुर्रत कर रहा है. लेकिन इसी तनातनी के बीच भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया अगले महीने से मालाबार युद्धाभ्यास की तैयारियों में जुटे हैं. ये पहली बार होगा कि जब आस्ट्रेलिया इस एक्सरसाइज में हिस्सा लेगा. अब तक भारत, अमेरिका और जापान की नौसेनाएं ही इस युद्धाभ्यास में हिस्सा लेती आई हैं. लेकिन चीन के साथ इन दिनों भारत, अमेरिका और जापान जैसे देशों के रिश्ते जितने तनाव भरे हैं, उसमें ना तो ये युद्धाभ्यास चीन को सुहाने वाला है और ना ही इस युद्धाभ्यास में आस्ट्रेलिया का भाग लेना उसे जमने वाला है.

सोमवार को भारत ने इस बात का ऐलान करते हुए इस युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के भाग लेने की बात पर मुहर लगाई. इस युद्धाभ्यास का दोबारा सिलसिला साल 2017 में शुरू हुआ था और पिछले साल सितंबर में जापान के तट पर इन देशों ने जबर्दस्त युद्धाभ्‍यास किया था. लेकिन इस बार आस्ट्रेलिया भी इसका हिस्सा बनेगा.

मालाबार युद्धाभ्यास की शुरुआत भारत और अमेरिका की नौसेनाओं के बीच 1992 में हुई थी. साल 2015 से जापान ने भी इस युद्धभ्यास में हिस्सा लेना शुरू कर दिया. इसके बाद ये युद्धाभ्यास कभी अमेरिकी समंदर में होता तो कभी जापान और कभी भारत के समंदर में. मालाबार युद्धाभ्यास के नाम से जाना जानेवाली ये ड्रिल 2018 में अमेरिकी मिलिट्री बेस, गुआम में हुआ था.

इसके बाद साल 2019 में ये जापान में हुआ. लेकिन इस साल इसके बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में होने की उम्मीद है. मगर भारत और चीन के बीच इस बार बने तनातनी के माहौल के बीच इस युद्धाभ्यास के अपने-आप में अलग मायने हैं. वो भी तब जब ऑस्ट्रेलिया जैसा मुल्क ख़ास तौर पर इस ड्रिल में भाग लेने आ रहा हो. हालांकि कोरोना के चलते इस बार ये ड्रिल पूरी तरह से नो-कॉन्टैक्ट ड्रिल होगी और समंदर के बीच ही होगी.

कहने का मतलब ये समुद्री तटों पर इस ड्रिल के तहत कोई अभ्यास नहीं किया जाएगा. रक्षा मंत्रालय ने अभ्यास की इस खबर पर मुहर लगाते हुए कहा है कि मालाबार-2020 के अभ्यास से इन देशों की नौसेनाओं के बीच तालमेल और मजबूत होगा.

इस युद्धभ्यास को लेकर चीन की कुढ़न और जलन का अंदाज़ा आपको इसी बात से लग जाएगा कि जब जापान ने मालाबार एक्सरसाइज में भाग लेने की कोशिश की थी तो चीन ने इसका विरोध किया था. क्योंकि चीन को लगता था कि भारत और अमेरिका के साथ जापान भी उसके खिलाफ गोलबंद हो रहा है. मगर 2015 में भारत ने चीन का विरोध को दरकिनार कर जापान को इस युद्धाभ्यास में शामिल कर लिया. इसी बीच 26-27 अक्टूबर को भारत और अमेरिका के बीच राजधानी दिल्ली में 2+2 मीटिंग होने जा रही है.

इस मीटिंग में भारत और अमेरिका के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्रियों की बैठक तय है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्‍पर और विदेश मंत्री एस जयंशकर की माइक पोम्पिओ से मुलाकात होगी. इस 2+2 बातचीत में बेसिक एक्‍सचेंज ऐंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (BECA) पर बात बन सकती है. यह समझौता होने पर अमेरिका लॉन्‍ग-रेंज नेविगेशन और मिसाइल टारगेटिंग के लिए भारत को ऐडवांस्‍ड सैटेलाइट और टोपोग्रैफिकल डेटा उपलब्‍ध कराएगा. ज़ाहिर है, इस बैठक में कई अहम रक्षा समझौते भी होंगे और इससे चीन और तड़पेगा.

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