Tehsil कल्याण दफ्तरों में धूल फांक रहे 1500 रुपए के फार्म

Update: 2024-07-24 12:10 GMT
Una. ऊना। तहसील कल्याण कार्यालयों में 15 सौ रुपए के फार्म कमरों में धूल फांक रहे हंै। विभाग में कर्मचारियों की कमी के कारण इंदिरा गांधी प्यारी बहना योजना के आवेदन कमरों में ढेर के रुप में पड़े हुए है। ऑफलाईन लिए जा रहे इन आवेदनों को अपलोड़ नहीं किया जा रहा है। हालात यह है कि जिला के तहसील कल्याण कार्यालयों में एक-एक क्लर्क 15 सौ रुपए के फार्म एकत्रित कर रहा है। अकेले कर्मचारी के हवाले ही महिलाओं के फार्म सत्यापन व अपलोड करने का जिम्मा है। अब अकेला कर्मचारी कार्यालयों में फार्म जमा करवाने आने वाली महिलाओं से आवेदन फार्म लें या उन्हें अपलोड़ करें। यह कर्मचारी के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। जिला ऊना की बात करें तो चार तहसील कल्याण कार्यालयों में 75 हजार के करीब आवेदन कमरों में पड़े हुए है। जिनका अभी तक सत्यापन नहीं हो पाया है। जांच के बाद इन फार्म को अपलोड किया जाएगा। तब जाकर महिलाओं को 15 रुपए मिलने नसीब हो पाएंगे। लेकिन विभाग के पास कर्मचारियों की कमी के कारण अब महिलाओं को 15 सौ रुपए लेने के लिए इंतजार करना पड़ सकता है। प्रदेश सरकार द्वारा शुरु की गई इंदिरा गांधी प्यारी बहना योजना का लाभ लेने के लिए महिलाओं ने
काफी रुचि दिखाई है।

महिलाओं ने दिन-रात एक कर अपने बोनाफाईड सहित अन्य दस्तावेज बनबाएं। इसके बाद आवेदन फार्म कल्याण विभाग के कार्यालयों में जमा करवाने पहुंच रही है। रोजाना तहसील कल्याण विभाग कार्यालयों में महिलाओं की खासी भीड़ जुट रही है। तहसील कार्यालयों में एक-एक क्लर्क की पोस्ट है। अकेला कर्मचारी महिलाओं से आवेदन ले रहा है। इंदिरा गांधी प्यारी बहना योजना के तहत ऑफलाईन आवेदन लिए जा रहे है। ऐसे में अकेले कर्मचारी का काम भी काफी बढ़ गया है। उक्त कर्मचारी पहले महिलाओं से आवेदन फार्म ले रहा है। इसके बाद उनकी जांच-पड़ताल कर उसे अपलोड करना पड़ रहा है। पूरा-पूरा दिन काम करने के चलते कर्मचारी भी परेशान हो गए है। ऐसा हाल सिर्फ तहसील कल्याण कार्यालय ऊना में ही नहीं बल्कि बंगाणा, हरोली व अंब में भी देखने को मिल रहा है। स्टाफ की कमी के चलते महिलाओं को भी लंबी-लंबी लाईनों में लगने को मजबूर होना पड़ रहा है। अकेले कर्मचारी द्वारा फार्म लेने से चारों तहसील कल्याण कार्यालयों में 75 के करीब फार्म पेडिंग पड़े हुए है। उक्त आवेदनों का कब सत्यापन होगा और कब इन्हें अपलोड़ किया जाएगा, इसका कोई पता नहीं है। ऐसे में इसका खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है।
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