पूर्व सीएम का दावा, अवैध खनन में शामिल हैं कांग्रेस के कई मंत्री और विधायक
किया बड़ा खुलासा.
चंडीगढ़: कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amrinder Singh) ने अब एक नया धमाका किया है. उन्होंने अवैध खनन (Illegal Mining) में शामिल मंत्रियों और विधायकों सहित कांग्रेस नेताओं को बेनकाब करने की बात कही है, जिससे कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.
दरअसल, कांग्रेस से दिए अपने इस्तीफे में कैप्टन ने कई मुद्दे उठाए हैं और कई खुलासे किए हैं, जिनमें से एक है अवैध खनन का खुलासा. उन्होंने लिखा है कि अवैध खनन में कांग्रेस के कई मंत्री और विधायक भी शामिल थे. हालांकि कैप्टन ने अभी इन मंत्रियों और विधायकों के नाम घोषित नहीं किए.
कैप्टन ने लिखा, 'पार्टी के हितों को ध्यान में रखते हुए मैंने उनके नाम उजागर नहीं किए, ताकि कांग्रेस को शर्मिंदगी का का सामना ना करना पड़े.' इसके साथ ही कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस बात के भी संकेत दे दिए कि आने वाले समय में वह अवैध रेत के काम में लिप्त मंत्रियों व विधायकों के नामों की घोषणा कर सकते हैं. कैप्टन ने कहा है कि वह ऐसे नामों को सार्वजनिक करने की इच्छा रखते हैं.
बता दें, इस साल जुलाई में शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल ने पंजाब के तत्कालीन खनन और भूविज्ञान मंत्री सुखबिंदर सरकारिया और संतोख सिंह भलाईपुर सहित पार्टी के पांच विधायकों के खिलाफ अवैध खनन की शिकायत दर्ज कराई थी. यह शिकायत बादल ने ब्यास पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाई थी. बादल ने आरोप लगाया था कि पंजाब में ब्यास नदी के निकट अवैध खनन किया जा रहा था. हालांकि राज्य के खनन विभाग ने इस आरोप को सिरे से खारिज किया था. शिअद नेता बादल ने दावा किया था कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण के अनुसार किसी पुल के पांच किलोमीटर के अंदर खनन गतिविधि नहीं की जा सकती लेकिन इस मामले में एक किलोमीटर की दूरी पर रेत खनन किया जा रहा है.
वहीं, विपक्षी आम आदमी पार्टी ने भी मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पर खनन माफिया को खुली छूट देने का आरोप लगाया था. विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने कहा, "पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिद्धू ने खनन माफिया पर अपना रुख बदल दिया है और मुख्यमंत्री चन्नी ने अवैध खनन में शामिल लोगों को खुली छूट दे दी है."
विपक्षी दलों ने कपूरथला के विधायक राणा गुरजीत सिंह का भी मुद्दा उठाया, जिन्हें हाल ही में दूसरी बार कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. दरअसल, राणा गुरजीत सिंह को खनन घोटाले में कथित संलिप्तता के बाद जनवरी 2018 में कैप्टन अमरिंदर के मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था.