चीन के साथ संबंधों को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में दी जानकारी
नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वास्तविक नियंत्रण रेखा क्षेत्र से जुड़े भारत-चीन के हालिया घटनाक्रम के बारे में राज्यसभा में जानकारी दी। बुधवार को इस विषय में बोलते हुए उन्होंने कहा कि 2020 से हमारे संबंध असामान्य रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन की कार्रवाई के परिणामस्वरूप तब शांति भंग हुई थी। 2020 के घटनाक्रम के बाद टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी सुनिश्चित कराना प्राथमिकता थी। ऐसा करना इसलिए भी आवश्यक था ताकि अप्रिय घटना या झड़प न हो। विदेश मंत्री के मुताबिक हाल ही में हुए समझौते में यह हासिल किया गया है। विदेश मंत्री का कहना है कि अब अगली प्राथमिकता तनाव कम करना है।
बुधवार को राज्यसभा में बोलते हुए विदेश मंत्री ने पूर्वी लद्दाख में सैनिकों के डिसएंगेजमेंट और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के हालात की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 21 अक्टूबर को बनी सहमति के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग की मुलाकात हुई। यह मुलाकात 23 अक्टूबर को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हुई थी। जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ कुछ मुद्दों पर असहमति है, जिसे दूर करने के लिए भारत और चीन समय-समय पर बातचीत कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि विशेष प्रतिनिधियों को सीमा मुद्दे का निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान तलाशना है। इसके अलावा शांति और सौहार्द भी रखना है। विदेश मंत्री ने इस संबंध में 18 नवंबर को ब्राजील के रियो डी जेनेरो में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी विदेश मंत्री के साथ हुई उनकी चर्चा का भी उल्लेख किया।
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने बताया कि 21 अक्टूबर को हुए समझौते से पहले उन्होंने इसी वर्ष 4 जुलाई को अस्ताना व फिर 25 जुलाई को वियनतियाने में चीनी विदेश मंत्री के साथ व्यापक संबंधों पर चर्चा की है। इसके अलावा भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और चाइनीज समकक्ष के बीच 12 सितंबर को सेंट पीटर्सबर्ग में एक मुलाकात हुई थी। भारत ने चीन के समक्ष गश्त में आ रही रुकावटों का मुद्दा उठाया था। इसके अलावा डेमचोक में खानाबदोश आबादी द्वारा उनके पारंपरिक चरागाहों तक जाने एवं स्थानीय लोगों के लिए विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रीय स्थानों तक पहुंच का मुद्दा भी उठाया गया। दोनों पक्षों के बीच गहन बातचीत के उपरांत बीते दिनों सहमति बनी है। इसके बाद से पारंपरिक क्षेत्रों में गश्त दोबारा शुरू की गई है।
राज्यसभा को जानकारी देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि हमारे हालिया अनुभवों के मद्देनजर वास्तविक नियंत्रण रेखा से जुड़े क्षेत्रों पर और ध्यान देने की आवश्यकता है। विदेश मंत्री ने कहा कि इस सब में हम बहुत स्पष्ट थे और हम अब भी बहुत स्पष्ट हैं। उन्होंने कहा कि हर परिस्थितियों में 3 प्रमुख सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए। इन तीन सिद्धांतों में दोनों पक्षों द्वारा एलएसी का सख्ती से सम्मान व पालन करना शामिल है। किसी भी पक्ष द्वारा यथास्थिति को एकतरफा बदलने का प्रयास न करना। पूर्व में किए गए समझौतों का पूरी तरह से पालन किया जाना शामिल है।
विदेश मंत्री ने राज्यसभा में यह भी बताया कि कहा कि नियंत्रण रेखा पर तनाव व अन्य संबंधित घटनाक्रमों का सीधा असर भारत-चीन संबंधों पर पड़ा था। विदेश मंत्री का कहना है कि हमारे द्वारा यह स्पष्ट किया है कि आपसी संबंधों का विकास आपसी संवेदनशीलता, आपसी सम्मान और आपसी हित के सिद्धांतों पर निर्भर करता है।