Sewing. शिलाई। इस वर्ष चेरापूंजी, गुवाहाटी, असम और बंगलुरु में अदरक का बंपर उत्पादन होने से उपमंडल शिलाई की एशिया में अदरक के लिए प्रसिद्ध बेला वैली के किसान मायूस हैं। वैली के किसानों की अदरक व इससे बनने वाली सौंठ अच्छी कमाई का साधन है, लेकिन अदरक के दामों में आई भारी गिरावट ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। अदरक एक्सपोटर आढ़तियों की मानें, तो इस बार हिमाचल का अदरक पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और तालिबान में सप्लाई नहीं हुआ है। इस कारण भी स्थानीय अदरक को औने-पौने दाम मिल रहे हैं। जिला सिरमौर के बेला वैली की यदि बात करें, तो यहां पर किसानों को अदरक की फसल के दाम कम मिलने से निराशा ही हाथ लगी है। क्षेत्र में इस साल किसानों ने बड़े पैमाने पर अदरक की फसल लगाई है। उनको अदरक के दाम इस बार 1200 से 1600 रुपए तक प्रति 40 किलो मिल रहे हैं। वर्ष 2023 में अदरक 2200 रुपए में बिका था। प्रति 40 किलो अदरक अब 1500 के दाम बिक रहा है। इससे किसान बीज के पैसे तक पूरे नहीं कर पा रहे हैं। गौरतलब हो कि गिरिपार के बेला वैली के किसानों की ओर से जो अदरक की नकदी फसल लगाई जाती है।
कोई अदरक से सौंठ तो कोई बीज में बेचकर अपने परिवार की आजीविका चलाते हैं। साथ ही वर्ष भर में यदि कोई नया काम करना है, तो भी इसकी आमदनी से ही उसे निभाते हैं, लेकिन इस बार अदरक के दाम गिरने से उनके सारे सपनों पर पानी फिर गया है। गिरीखंड क्षेत्र के प्रगतिशील किसान गुलाब सिंह नौटियाल, कंवर शर्मा, हीरा सिंह शर्मा, सुरजीत सिंह, भीम सिंह, राजेंद्र शर्मा, जीत राम, मोहन सिंह, मनीष सहित वैली के सैकड़ों किसानों ने बताया कि अधिकांश बेला वैली के 60 फीसदी किसान अदरक की सौंठ तथा 40 फीसदी बीज के लिए अदरक बेचते हैं, लेकिन जब अदरक के दाम कम हैं, तो बीज और सौंठ के दाम भी कम रहेंगे। इससे पहले भी कई बार दाम गिरते थे, लेकिन इस बार ज्यादा नीचे आ गए हैं। पिछले साल 1800 से 2200 रुपए प्रति 40 किलो के बीच अदरक बिका था, लेकिन इस बार तो 1200 रुपए से 1500 रुपए प्रति 40 किलो के बीच मंडी में अदरक बिक रहा है। किसानों ने इस वर्ष 6000 से 9000 रुपए प्रति 40 किलो के हिसाब से बीज खरीदा है। इससे बीज के दाम भी पूरे नहीं हो पाएंगे। कृषि विश्वविद्यालय धौलाकुआं के सब्जी विशेषड डा. पंकज मित्तल ने बताया कि अदरक के दाम गिरने से किसानों को काफी नुकसान हुआ है। गत वर्ष अदरक के भारी दाम रहे, जिसके चलते किसानों ने महंगा बीज खरीदा है।