फर्जी जॉब रैकेट का खुलासा, दो मास्टरमाइंड को दबोचा गया
आरोपियों के पास से मर्सिडीज और BMW जैसी लग्जरी कार बरामद हुई है.
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की रेलवे विंग को बड़ी सफलता मिली है. रेलवे पुलिस की यूनिट ने रेल विभाग के नाम पर चल रहे फर्जी जॉब रैकेट (Fake Job Racket) का भंडाफोड़ किया है. पुलिस के मुताबिक, रैकेट चलाने वाले दो मास्टरमाइंड को गिरफ्तार कर लिया गया है. साथ ही उसके दो साथियों को भी अरेस्ट किया गया है.
आरोपियों के पास से मर्सिडीज और BMW जैसी लग्जरी कार बरामद हुई है. पुलिस ने बताया कि फर्जी जॉब रैकेट से कमाए गए रुपयों से उन्होंने ये कार खरीदी हैं. ये लोग रेलवे में नौकरी दिलाने की एवज में लोगों से रुपये ऐंठते थे.
जानकारी के मुताबिक, मामले का खुलासा तब हुआ जब पुलिस ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 5 फर्जी टीटीई गिरफ्तार किए. पूछताछ में पता चला कि सभी से पैसे लेकर उन्हें अपॉइंटमेंट लेटर दिया गया है. सभी की बाकायदा नई दिल्ली स्टेशन पर ड्यूटी लगाई जा रही थी.
प्रेस वार्ता में पुलिस ने बताया कि 31 अगस्त को उन्होंने 5 फर्जी टीटीई को पकड़ा था. जिनसे पूछताछ में रैकेट के दो सदस्यों के नाम का खुलासा हुआ. पुलिस ने जब रैकेट के दो सदस्य मोहम्मद रिजवान और अमनदीप सिंह को गिरफ्तार किया तो उन्होंने गिरोह के दो मास्टरमाइंड के नाम बताए. उन्हीं के इशारे पर सारा काम होता था. पुलिस ने जांच जारी रखी और टेक्निकल सर्विलांस की मदद से उन्होंने 5 सितंबर को फर्जी जॉब रैकेट गिरोह के दोनों मास्टरमाइंड को गिरफ्तार कर लिया. पकड़े गए दोनों मास्टरमाइंड की पहचान सुखदेख सिंह और संदीप सिडाना के रूप में हुई.
आरोपी सुखदेव को गाजियाबाद के होटल से पकड़ा, जहां वह काफी समय से छिप कर रह रहा था. जबकि, दूसरे आरोपी संदीप को भीकाजी कामा प्लेस से अरेस्ट किया. दोनों से पूछताछ की गई तो इन्होंने अपने दो और साथियों के बारे में बताया. पुलिस ने उन दोनों को भी अरेस्ट कर लिया है. दोनों आरोपियों के नाम दीपक और राहुल है.
पूछताछ में पता चला कि सुखदेव सिंह रेलवे में नौकरी का लालच देकर बेरोजगार लोगों को फंसाता था. फिर संदीप सिडाना को उन लोगों की डिटेल भेजता था. साल 2020 में सुखदेव और संदीप एक-दूसरे के संपर्क में आए. सुखदेव सीलमपुर में कार डीलर था. उसने 2020 में दिल्ली विधानसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार गया. बताया जा रहा है कि, उसने बिजनेस के लिए काफी पैसा भी उधार ले रखा था. वह उधार के पैसे लौटा नहीं पा रहा था. इसी बीच संदीप ने उसे पंजाब के होशियारपुर में रेलवे में जॉब की प्लेसमेंट एजेंसी खोलने का सुझाव दिया. साथ ही कहा कि जो भी कैंडिडेट उसके पास आएं, वे उनकी डिटेल उसे भेज दिया करे.
पुलिस ने बताया कि संदीप ने रेलवे भर्ती के नकली एप्लीकेशन फॉर्म और आईकार्ड पहले से ही रखे हुए थे. इसी बीच उन्होंने दीपक और राहुल को भी काम पर रख लिया. दीपक पेट्रोल पंप ऑपरेटर है और उसकी डीआरएम ऑफिस में अच्छी खासी जान पहचान थी. जबकि, राहुल के अंकल रेलवे के अस्पताल में बतौर एंबुलेंस ड्राइवर काम करते हैं, जिसके कारण उसके पास भी वहां का एक्सेस था.
दीपक कैंडिडेट्स को डीआरएम ऑफिस ले जाकर फर्जी कार्रवाई पूरी करवाता था. जबकि, राहुल रेलवे के अस्पताल ले जाकर कैंडिडेट्स फर्जी मेडिकल करवाता था. इस तरह लोगों को भी कभी उन पर शक नहीं हुआ. फिर लोगों को संदीप फर्जी सर्टिफिकेट और आईडी कार्ड देकर कहता था कि उनकी रेलवे में नौकरी लग गई है. सभी लोगों को इन लोगों ने कहा था कि वे लोग पहले ट्रेनिंग पीरियड पूरा करेंगे. तभी जाकर उन्हें परमानेंट किया जाएगा. पूरे मामले में हैरानी की बात ये रही कि ये लोग इन फर्जी TTE की ड्यूटी भी लगाते थे. गिरोह का पर्दाफाश तब हुआ जब एक फर्जी TTE को पुलिस ने कानपुर शताब्दी एक्सप्रेस से पकड़ा. आरोपियों ने पूछताछ में कबूल किया कि उन्होंने कुल लोगों को फर्जी TTE की नौकरी दी है.