सूर्य षष्ठी Mahaparva: मिश्र तालाब घाट पर डूबते सूर्य को अर्ध्य देकर की सूर्य भगवान की आराधना
Raisen रायसेन। भोजपुरी समाज द्वारा कार्तिक मास की सूर्य षष्ठी के महापर्व की शुरुआत खरना से हुई। महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर संतान की खुशहाली घर में सुख सम्रद्धि की कामना की।गुरुवार की शाम शहर के प्राचीन मिश्र तालाब घाट पर बिहार उत्तरप्रदेश झारखंड पूर्वांचल के अधिकांश हिस्सों की भोजपुरी समाज के लोग परिवार समेत शाम लगभग 5 बजे जुटे।शाम को मिश्र तालाब घाट पर गन्नों से मंडप सजाए गए।फलों की टोकनी में फलों को सजाकर रखा गया सूप में सब्जियां मिठाई रखी गई।सूर्य भगवान की आराधना उपासना करते हुए पूजन आरती कर डूबते हुए सूर्य भगवान को जलकलश से अर्ध्य दिया।पूजा अर्चना और अर्ध्य दिलाने की रस्म पंडित रमेश तिवारी द्वारा पूर्ण कराई गई।पंडित तिवारी ने बताया कि शुक्रवार को अलसुबह एक बार फिर से भोजपुरी समाज परिवार सहित जुटेंगे।सूर्य षष्ठी महापर्व की खुशी में रंगबिरंगी आतिशबाजी की जाएगी। सुबह निर्जला व्रतधारियों द्वारा उगते सूर्य भगवान को अर्ध्य देंगी।इस अवसर पर पंडित रमेश तिवारी, दीनबन्धु तिवारी,किराना व्यापारी अनिल चौरसिया बंटी चौरसिया अनुराग चौरसियाराम प्रताप यादव एडवोकेट अजय दुबे, अमरेंद्र दुबे, राम अवतार सिंह आदि उपस्थित रहे।
36 घंटे का निर्जला व्रत....
डाला छठ पूजा नहाय-खाय से आरंभ होती है। जिसमें श्रद्धालु स्नान कर शुद्धता का पालन करते हैं। इस दिन प्रसाद के रूप में चावल, चने की दाल और लौकी का भोजन किया जाता है। अगले यानि दूसरे दिन खरना मनाया जाता है। जिसमें व्रतधारी महिलाएं पूरे दिन उपवास रखकर संध्या को विशेष प्रसाद ग्रहण करती हैं। इसके बाद से ही 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत शुरू होता है, जिसमें व्रतधारी न जल ग्रहण करते हैं न अन्न।
बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश सहित पूर्वांचल के अधिकतर हिस्सों में श्रद्धाभक्ति के साथ मनाया जाने वाला छठ महापर्व का रायसेन शहर में भी पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर 5 नवंबर से चार दिनी लोक आस्था का महापर्व छठ शुरू हुआ। पर्व का समापन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर किया जाएगा।
महापर्व की तैयारी भोजपुरी समाज के लोगों द्वारा जोरों से की जा जाती हैं। रायसेन शहर में में निवासरत पूर्वांचल के लोग मिश्र तालाब तट पर शाम 5 बजे और शुक्रवार को सुबह साढ़े 5 बजे को एकत्रित होकर छठ मईया की पूजा-अर्चना कर ऊगते सूर्य को अर्घ्य देंगे। भोजपुरी सांस्कृतिक उत्सव समिति के रायसेनके सदस्यों अध्यक्ष ने बताया, छठ पूजा का पहला दिन मंगलवार को नहाय खाय के साथ शुरू हुआ। दूसरे दिन 6 नवंबर बुधवार को खरना मनाया गया। तीसरे दिन गुरुवार को संध्याकालीन अर्घ्य दिया गया। चौथे और अंतिम दिन शुक्रवार को प्रात:कालीन सूर्य भगवान को अर्घ्य के साथ महापर्व का समापन होगा। प्रात:कालीन अर्घ्य के बाद छठ व्रती घर आकर छठ पूजन सामग्री की घर में पूजा कर पारण करते हैं।