New Delhi. नई दिल्ली। जम्मू क्षेत्र में बीजेपी को सबसे अधिक सीट मिल रही है। पीडीपी को सबसे कम सीट मिल रही है। एनसी मिडिल में बना हुआ है। बीजेपी को 27-31 सीट, एनसी को 40-48 सीट, पीडीपी- 0-2 सीट मिल रही है। जम्मू-कश्मीर की सभी 90 सीटों पर मतदान संपन्न हो चुका है। जम्मू-कश्मीर में इस बार तीन चरणों में वोटिंग हुई। एक अक्टूबर को आखिरी चरण का मतदान हुआ था।
आज (शनिवार) शाम एग्जिट पोल आ गया है। बीजेपी को जम्मू क्षेत्र में 27-31 सीटें मिलती दिख रही हैं। जम्मू-कश्मीर में बीजेपी बाजी मारेगी या कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन को जीत मिलेगी, हालांकि, इस बार इंजीनियर रशीद की पार्टी और पीडीपी भी कई सीटें जीतने का दावा कर रही है। दक्षिण कश्मीर में पीडीपी और सेंट्रल कश्मीर में नेकां की पकड़ मजबूती से दिख रही है। वहीं, सज्जाद लोन और इंजीनियर रशीद भी अपनी उस्थिति दर्ज कराने का दावा कर रहे हैं।
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए सीवोटर के सर्वे के मुताबिक जम्मू रीजन की 43 सीटों में से बीजेपी को यहां से 27 से 32 सीटें हासिल हो सकती हैं. जबकि एनसी को 40 से 48 सीटें मिल सकती हैं. वहीं पीडीपी को 2 और अन्य को एक सीट मिल सकती है। जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हुए, अब कुछ सवाल हैं। क्या नए कश्मीर का दावा करने वाली BJP सरकार बना पाएगी? या फिर 16 साल बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी बन जाएगी और लोकसभा चुनाव के बाद नए तेवर में दिख रही कांग्रेस का क्या होगा? इन सवालों का जवाब जानने के लिए भास्कर रिपोर्टर्स जम्मू-कश्मीर की सभी 90 विधानसभा सीटों तक गए और हवा का रुख समझा।
जम्मू-कश्मीर में तीन फेज में 18 सितंबर, 25 सितंबर और एक अक्टूबर को वोटिंग हुई थी। इस दौरान हमने आम लोगों, पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स, सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल पार्टियों से बात की। इससे समझ आया कि 10 साल बाद भी जम्मू-कश्मीर में एक पार्टी या अलायंस को बहुमत के लिए जरूरी 46 सीटें मिलती नहीं दिख रही हैं। सबसे ज्यादा सीटें नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस के अलायंस को मिल सकती हैं। दूसरे नंबर पर BJP रह सकती है। पिछली CM महबूबा मुफ्ती की पार्टी PDP की सीटें भले दहाई से कम रहें, लेकिन वे किंगमेकर की भूमिका में आ सकती हैं। इस बार निर्दलीय उम्मीदवार भी सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन सरकार बनाने के सबसे करीब है। इसे 35 से 40 सीटें मिल सकती हैं। इतनी सीटें सरकार बनाने के लिए नाकाफी हैं, इसलिए PDP या निर्दलियों की जरूरत पड़ेगी। ये गठबंधन कश्मीर की 47 सीटों में से ज्यादातर पर मजबूत दिख रहा है। 2014 में दोनों पार्टियों ने 27 सीटें जीती थीं। इस लिहाज से अलायंस को 10 से ज्यादा सीटों का फायदा हो सकता है। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 51 और कांग्रेस ने 32 सीटों पर चुनाव लड़ा है। 5 सीटों पर दोनों ने अलग-अलग कैंडिडेट उतारे हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस 28 से 32 और कांग्रेस 7 से 12 सीटों पर जीत सकती है। CPI (M) और पैंथर्स पार्टी को 1-1 सीट दी गई है। 2014 के विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रही BJP इस बार भी उसी पोजिशन पर रह सकती है। पार्टी को 20 से 25 सीटें मिल सकतीं हैं। जम्मू की 43 सीटों पर आधे या इससे ज्यादा पर BJP को जीत मिल सकती हैं। इस बार कश्मीर घाटी में भी पार्टी का खाता खुल सकता है। उम्मीद गुरेज सीट से है। यहां से फकीर मोहम्मद खान पार्टी के कैंडिडेट हैं। फकीर मोहम्मद 28 साल पहले 1996 में गुरेज से निर्दलीय विधायक चुने गए थे।
2002 का विधानसभा चुनाव हार गए। फिर कांग्रेस में शामिल हो गए। 2008 और 2014 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़े, लेकिन बहुत कम वोटों के अंतर से हार गए। 2014 में तो फकीर सिर्फ 141 वोट से हारे थे। अब वे BJP के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। गुरेज सीट से नेशनल कॉन्फ्रेंस के कैंडिडेट नजीर अहमद खान लगातार तीन चुनाव जीत चुके हैं। वे इस बार भी चुनाव लड़ रहे हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों से साफ हो गया था कि महबूबा मुफ्ती की पार्टी PDP घाटी की सियासत में पकड़ खो रही है। लोकसभा चुनाव में PDP एक भी सीट नहीं जीत पाई। महबूबा मुफ्ती खुद अनंतनाग से चुनाव हार गईं। विधानसभा चुनाव में भी नतीजे अलग नहीं दिख रहे हैं। शुरुआत में PDP कमजोर नजर आ रही थी। दूसरे और तीसरे फेज के चुनाव आते-आते स्थिति थोड़ी सुधर गई। एक्सपर्ट्स का मानना है कि PDP सिर्फ 4-7 सीटें जीत पाएगी। इसके बावजूद सरकार बनाने की लिए दूसरी पार्टियों को उनकी जरूरत पड़ेगी। बहुत चांस हैं कि PDP नतीजे आने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाए।
निर्दलीय और छोटी पार्टियों के खाते में 9 से 12 सीटें जाती दिख रही हैं। बारामूला से सांसद इंजीनियर राशिद की अवामी इत्तेहाद पार्टी के सपोर्ट वाले कैंडिडेट 2-3 सीटें जीत सकते हैं। एक्सपर्ट मान रहे थे कि वे मजबूत स्थिति में थे, लेकिन चुनाव से पहले बेल मिलने से उन पर BJP की B टीम होने के आरोप लगे। इससे इंजीनियर राशिद को नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा सज्जाद लोन की 'पीपुल्स कॉन्फ्रेंस' को 1-2 सीटें और अल्ताफ बुखारी की 'अपनी पार्टी' को 0-1 सीटें मिल सकती हैं। कश्मीर के पॉलिटिकल एक्सपर्ट अजहर हुसैन कहते हैं, ‘मुझे नहीं लगता है कि किसी पार्टी या अलायंस को बहुमत के लिए जरूरी 46 सीटें मिल सकेंगी। कश्मीर में सबसे बड़ी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस रहेगी। जम्मू में BJP के पास बढ़त रहेगी।' 'इस बार निर्दलियों का रोल सबसे अहम होने वाला है। निर्दलीय कैंडिडेट 8-10 सीटें जीत सकते हैं। छोटी पार्टियों के एक-दो कैंडिडेट ही जीतेंगे, लेकिन सरकार बनाने में उनकी बड़ी भूमिका रहेगी।
2-3 महीने पहले लोकसभा चुनाव हुए थे, तब इंजीनियर राशिद के मैदान में आने से नॉर्थ कश्मीर की पॉलिटिक्स में नया मोड़ आया था।’ अजहर हुसैन आगे कहते हैं, ‘BJP को 25 से 30 सीटें मिल सकतीं हैं। BJP कह चुकी है कि निर्दलीय विधायकों को मिलाकर सरकार बना सकती है। कश्मीर घाटी में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस मजबूत स्थिति में है। अलायंस को 35 से 40 सीटें मिल सकतीं हैं।’ ‘महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में मेरे बगैर हुकूमत नहीं बन सकती। इसी तरह पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के चीफ सज्जाद लोन ने भी कहा कि सरकार बनाने में किसी कम्युनल पार्टी का सपोर्ट नहीं करेंगे। दोनों पार्टियां नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के अलायंस के साथ आ सकती हैं।’ ‘इस लिहाज से BJP के पास सरकार बनाने के ऑप्शन कम हैं। INDIA अलायंस के पास ज्यादा मौके हैं। इंजीनियर राशिद की पार्टी भी BJP के साथ नहीं जाना चाहेगी क्योंकि उन्होंने BJP के खिलाफ बोलकर ही वोट मांगे हैं।’