Pratapgarh के जंगलों से हर दिन काटे जा रहे हैं 10-12 पेड़

Update: 2024-06-05 11:28 GMT
Pratapgarh: प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ जिले में औसत हर वनखंड में हर दिन जंगल से 10-12 हरे पेड़ों को काटा जाता है। जंगलों में खुलेआम वन्य जीव का शिकार भी होता है। वन तस्कर जंगलों में रहने वाले लोगों की आड़ में धीरे-धीरे जंगलों का सफाया करवा रहे हैं। वन विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 से लेकर 31 मार्च 2023 तक विभाग ने अवैध वन कटाई 1515 मामले दर्ज किए है। सबसे कम 28 अवैध शिकार के मामले विभाग ने दर्ज किए है। 2020 में जहां प्रतापगढ़ वन विभाग 
Pratapgarh Forest Department
 में 108 पद खाली थे, इन्हें सरकार ने नई भर्तियों के माध्यम से धीरे-धीरे भरते हुए 259 में से 205 पद भर दिए है। बावजूद जिले में अवैध रूप से जंगलों में कटाई नहीं रुक रही है। बाहर से पेड़ तो नजर आ रहे हैं, लेकिन बीच में से जंगल खोखला हो रहा है। इसका असर सरकार के खजाने पर भी देखने को मिला है। वर्ष 2021 में तेंदूपत्ता से सरकार को जहां 16 करोड़ की आय हुई थी, अब यह 8 करोड़ पर सिमट गई है। दूसरी ओर जंगली जानवरों की संख्या सीमित हो रही है। वन विभाग में वर्ष 2019 में अवैध वन कटाई, खनन और शिकार सहित 593 मामले दर्ज किए हैं। इनमें सबसे ज्यादा अवैध कटाई के 419 मामले हैं। वर्ष 2020 में 533 मामले दर्ज किए, इनमें 389 सर्वाधिक अवैध वन कटाई के है।

वर्ष 2021 में 312 मामले दर्ज किए, इनमें से 343 अवैध वन कटाई के है। इसी तरह वर्ष 2022 में 309 मामले दर्ज किए, इनमें सर्वाधिक 208 वन कटाई के है। इसी तरह वन विभाग में वर्ष 2023 में 438 मामले दर्ज किए, इनमें सर्वाधिक अवैध वन कटाई के 273 मामले है। वर्ष 2019 से लेकर वर्ष 2023 तक वन विभाग ने अवैध वन्यजीवों के शिकार के सिर्फ 28 मामले ही दर्ज किए हैं। जबकि शिकार प्रथाओं पर अब भी लगाम नहीं लगी है। पांच साल में सिर्फ विभाग को शिकार के 28 मामले ही मिले है, जबकि मामले इससे कई गुना अधिक हो सकते है। लोग गर्मियों के दिनों में जब पेड़ोंं के पत्ते सूख जाते हैं, तब एक निश्चित जंगल क्षेत्र में किए गए अपने कब्जे के अधीन में सफाई के लिए बिना सोचे-समझे वहां आग लगा देते हैं। आग से विशाल जंगल में मौजूद सैकड़ों वन्यजीव भी दांव पर लग जाते है। वन्यजीव प्रेमी मंगल मेहता के अनुसार अवैध रूप से जंगलों की कटाई और जंगलों में अपने अधिकार जमाने के लिए लोगों के द्वारा अंधाधुंध वनों की कटाई की जा रही है, ताकि भविष्य में उन्हें वन अधिकार के तहत पट्टा मिल सके। वन अधिकार में मिले पट्टाधारकों का मूल्यांकन होना चाहिए और संपूर्ण वन भूमि अमल दरामत सीमांकन होना चाहिए। जंगल बचाने के लिए हमारे विभाग की टीम हरसंभव प्रयासरत है। टीम को निर्देश दिए कि आगे भी वह वन एवं वन्यजीव की सुरक्षा के लिए अपना पूरा सहयोग दे। गर्मी के दिनों में जंगलों में लगने वाली आग को हम ग्रामीणों की सहायता से बुझाकर इनके कारणों तक पहुंचने का प्रयास कर रहे है। टीम सतर्क है।
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