ED ने हाईकोर्ट में अपने अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने पर उठाए सवाल
उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
बेंगलुरू: करोड़ों रुपए के आदिवासी कल्याण बोर्ड घोटाले में राज्य पुलिस द्वारा ईडी अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के विरोध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
अपनी याचिका में ईडी ने दावा किया है कि घोटाले के संबंध में प्राधिकरण द्वारा की जा रही जांच को कमजोर करने के इरादे से हमारे अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज की जा रही है। ईडी ने यह भी कहा है कि बिना किसी प्रारंभिक जांच के कर्नाटक पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। वहीं, ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील मधुकर देशपांडे ने कोर्ट को बताया कि इस मामले की तत्काल सुनवाई की जरूरत है।
हाई कोर्ट में दोपहर में इस मामले की सुनवाई होने की संभावना है। कर्नाटक पुलिस ने सोमवार को राज्य आदिवासी कल्याण बोर्ड मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दो अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।
जनजातीय कल्याण बोर्ड के पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) और समाज कल्याण विभाग में वर्तमान अतिरिक्त निदेशक बी. कल्लेश की पुलिस शिकायत के आधार पर बेंगलुरु के विल्सन गार्डन पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर में कहा गया है, ''ईडी अधिकारियों ने कल्लेश को गिरफ्तारी की धमकी दी थी और उसे मानसिक यातना देकर यह कबूल करने के लिए मजबूर किया था कि पूर्व मंत्री बी. नागेंद्र उच्च सरकारी अधिकारियों और राज्य वित्त विभाग ने उसे एमजी रोड बैंक में पैसे जमा करने का निर्देश दिया था। ईडी ने कहा कि अगर वह उनके बयान से सहमत हो जाए तो वे उसकी मदद करेंगे।''
वित्त विभाग मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के पास है। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 3 (5), 351 (2) और 352 के तहत मामला दर्ज किया है।
मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके. शिवकुमार के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों ने मंगलवार को ईडी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और कथित करोड़ रुपए के आदिवासी कल्याण बोर्ड घोटाले में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री का नाम उजागर करने के लिए अधिकारी पर दबाव डालने के लिए ईडी की निंदा की।