Mousam की मार, बागीचों में ही झड़ गई लीची

Update: 2024-07-03 11:18 GMT
Reconciliation. सुलाह। सुलाह विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत लीची के अधिक उत्पादन के लिए मशहूर व प्रदेश भर में लीची का गढ़ कहे जाने वाली सुलाह ने आज भी नाम कमाया हुआ है। यही नहीं सुलाह की लीची ने प्रदेश व अन्य राज्यों सहित विदेशों में भी अपनी पहचान बनाई हुई है। बता दें कि सुलाह में हर साल हजारों क्विंटल लीची का उत्पादन होता है। इसमें हजारों क्विंटल लीची बाहरी राज्यों सहित विदेशों में भेजी जाती है। हालांकि पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार खराब मौसम के कारण लीची की फसल में भारी गिरावट आई है। इससे लीची बागबानों, ठेकेदारों व व्यापारियों के चेहरे मुरझाए हुए हैं क्योंकि हर साल बागबानों के मालिक व व्यापारी खूब चांदी लूटते थे। इस बार लीची के सीजन में भारी गर्मी व बारिश न होने की वजह से करोड़ों का व्यापार लाखों तक सिमट के रह गया है। इस वजह से इस बार का
सीजन घाटे का सौदा साबित हो रहा है।
दिल्ली के ठेकेदार दिलशान, जवाली के ठेकेदार नंदलाल व स्थानीय ठेकेदारों में वामदेव, तेज पाल, काला राम, अजय चड्ढा, ज्ञान चंद, संसार चंद, बंटी, चैना आदि अन्यों ने बताया कि पिछले सीजन के मुकाबले इस बार लीची फसल की कम पैदावार हुई है। हमें अभी तक ठीक हिसाब से मंडियों में रेट नहीं मिल पा रहा है क्योंकि इस बार मौसम में हुए परिवर्तन व बारिश के कारण लीची फट भी गई और जल्दी पक जाने के कारण झड़ जा रही है। इस वजह से हमें लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। ठेकेदारों के अनुसार हजारों क्विंटल लीची का उत्पादन इस बार सैकड़ों क्विंटल में रह गया है। उन्होंने प्रदेश सरकार से उचित भरपाई एवं मुआवजे की मांग की है। गौरतलब है कि लीची का सीजन बागवान मालिकों सहित हर किसी की जेबों को हरा भरा करता है क्योंकि सीजन के दौरान सुलाह के जहां हजार से अधिक लोगों को रोजगार का अवसर मिलता है साथ ही बाहर से आए हुए लोगों को भी इससे रोजगार मिल रहा है। जो कि हर साल इसी सीजन के दौरान मिलता है। वहीं दिल्ली से आए ठेकेदार दिलशान ने बताया कि पिछले साल से इस सीजन में लीची की फसल के बुरे हाल है। इस दौरान उन्होंने बताया कि सुलाह की लीची की बाहरी राज्यों कोलकाता, बिहार, हिसार आदि अन्य शहरों में बहुत डिमांड है। उनके द्वारा लिए हुए बागीचों में लगी लीची को ग्रेडिंग करके दिल्ली भेजा जाता है।
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