नई दिल्ली: दिल्ली सेवा बिल लोकसभा में ध्वनिमत से पास हो गया है. ये विधेयक दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े मौजूदा अध्यादेश की जगह लाया गया था. इस अध्यादेश की वजह से केंद्र सरकार और अरविंद केजरीवाल की AAP के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई थी. लोकसभा में पास होने के बाद अब इस बिल को सोमवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा. दरअसल, अरविंद केजरीवाल लंबे समय से अलग-अलग राज्यों में जाकर विभिन्न पार्टियों से इस बिल के खिलाफ समर्थन जुटाने की कोशिश में लगे हुए थे. उनकी प्लानिंग थी कि इस बिल को राज्यसभा में निरस्त करवा दिया जाए. लेकिन नंबर गेम कुछ और ही इशारा कर रहा है.
इस बिल के राज्यसभा में पेश होने से पहले ही केजरीवाल को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि बसपा ने पहले दिल्ली सेवा बिल पर आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की बात कही थी, लेकिन अब बसपा लोकसभा और राज्यसभा में वोटिंग के दौरान बायकॉट का ऐलान कर दिया था. उधर, ओडिशा की सत्ताधारी BJD और TDP ने इस बिल पर केंद्र सरकार का समर्थन करने का ऐलान किया है. इससे पहले YSR भी केंद्र को समर्थन देने की बात कह चुकी है.
दिल्ली सेवा बिल यानी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 को लोकसभा में 1 अगस्त को पेश किया गया था. इस पर गुरुवार को चर्चा हुई. इस दौरान अमित शाह ने विपक्षी गठबंधन 'INDIA' पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि अभी तक ये लोग चर्चा के लिए कह रहे थे कि पीएम आएं तब चर्चा होगी लेकिन आज क्या हुआ? आज तो पीएम नहीं आए फिर चर्चा में क्यों हिस्सा लिया? शाह ने कहा कि हम मणिपुर पर चर्चा को तैयार हैं, जितनी लंबी चर्चा करनी है, करें. जवाब मैं दूंगा. शाह ने कहा कि देखना ये बिल संसद से पास होते ही अरविंद केजरीवाल इस 'INDIA' को बाय-बाय बोलकर चले जाएंगे.
विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए अमित शाह ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार के पास केंद्र शासित प्रदेशों पर कानून बनाने की शक्ति है और दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है, केंद्र को इसके लिए नियम बनाने का भी पूरा अधिकार है. उन्होंने कहा कि आज भारत विपक्ष का दोहरा चरित्र देख रहा है. जनहित के बिल उनके लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं. ये सभी आज इसलिए एकत्र हुए हैं, ताकि एक छोटी पार्टी उनके गठबंधन से भाग न जाए. गृह मंत्री ने कहा कि विपक्षी दलों को न तो लोकतंत्र की चिंता है और न ही देश की.
लोकसभा में इस बिल के पास होने के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने तीखा रुख अपनाया है. उन्होंने कहा कि हर बार बीजेपी ने वादा किया कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे. 2014 में मोदी जी ने ख़ुद कहा कि प्रधानमंत्री बनने पर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे, लेकिन आज इन लोगों ने दिल्लीवालों की पीठ में छुरा घोंप दिया. उन्होंने कहा कि आगे से मोदीजी की किसी बात पर विश्वास मत करना.
वहीं, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने आरोप लगाया कि दिल्ली सेवा बिल के जरिये ''शक्तियों के संवैधानिक बंटवारे में खुलेआम तोड़फोड़'' हो रही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहकारी संघवाद की बात करते हैं, लेकिन देश "जबरदस्ती संघवाद" का गवाह बन रहा है. यह कई मायनों में हमारी लोकतांत्रिक विरासत और संघवाद की भावना पर हमला है.