रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 18 नवंबर को LAC का करेंगे दौरा, रेजांग ला युद्ध स्मारक का करेंगे उद्घाटन
रेजांग ला की लड़ाई की 59वीं वर्षगांठ पर भारत को एक नया पुनर्निर्मित युद्ध स्मारक मिलेगा जिसका उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 18 नवंबर को करेंगे.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रेजांग ला की लड़ाई की 59वीं वर्षगांठ पर भारत को एक नया पुनर्निर्मित युद्ध स्मारक मिलेगा जिसका उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) 18 नवंबर को करेंगे. मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में 13 कुमाऊं की टुकड़ियों ने 1962 के युद्ध के दौरान चीनी सेना के कई सैनिकों को मार गिराया था. भारतीय सेना के अधिकारियों ने कहा कि प्रसिद्ध पौराणिक युद्ध की वर्षगांठ 18 नवंबर को मनाई जाती है.
पूर्वी लद्दाख सेक्टर में रेजांग ला युद्ध स्मारक (Rezang La War Memorial) एक छोटा था और अब इसका विस्तार किया गया है. ये अब पहले से काफी बड़ा होगा और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के पर्यटन मानचित्र पर होगा. अब पर्यटकों समेत आम जनता को स्मारक और सीमावर्ती क्षेत्रों में जाने की अनुमति होगी जो पौराणिक लड़ाई को और लोकप्रिय बनाएगी. उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्री 18 नवंबर को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के साथ युद्ध स्मारक का उद्घाटन करेंगे.
18 नवंबर को लेह आएंगे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 18 नवंबर को लेह आएंगे और वहां से वो झांसी जाएंगे, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की 193वीं जयंती पर राष्ट्रीय रक्षा समर्पण पर्व के समापन समारोह में हिस्सा लेंगे. 17-19 नवंबर तक रक्षा उपकरणों के प्रदर्शन के साथ-साथ रक्षा बलों को शामिल करने वाला एक प्रमुख तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. रेजांग ला में पुनर्निर्मित युद्ध स्मारक के उद्घाटन के कदम को उस क्षेत्र में भारत की ताकत के प्रदर्शन के रूप में देखा जाता है. जो चीनी क्षेत्र के बहुत करीब है और वास्तविक नियंत्रण रेखा के दूसरी तरफ से दिखाई देता है.
110 सैनिक हुए थे शहीद
सेना की 13 कुमाऊं बटालियन की चार्ली कंपनी ने 18 नवंबर 1962 को लद्दाख में रेजांग ला दर्रे पर चीनी सैनिकों के हमले का जवाब दिया था. इस कंपनी में लगभग सभी सैनिक दक्षिणी हरियाणा के निवासी थे. टुकड़ी में 120 सैनिक थे, जिनका नेतृत्व मेजर शैतान सिंह ने किया था. इस लड़ाई में टुकड़ी के कुल सैनिकों में से 110 शहीद हो गए थे. इन सैनिकों ने 18 नवंबर 1962 को बेहद ठंड में देश की रक्षा करने के लिए लड़ाई लड़ी थी. हथियार पुराने थे और गोलाबारूद की कमी थी. उनके कपड़े ठंड से बचने के लिए प्रभावी नहीं थे और खाना भी कम था. चार्ली कंपनी के पराक्रम से न केवल चीन को आगे बढ़ने से रोका जा सका बल्कि चुशुल हवाई अड्डे को भी बचाने में कामयाबी मिली. रेजांग ला पर कब्जा करने के प्रयास में कुल 1,300 चीनी सैनिक मारे गए थे.