पंचायत चुनाव में दीक्षा सिंह की करारी हार, पीएम मोदी को बताया था अपना आदर्श

पंचायत चुनाव में ग्लैमर का तड़का लगाने बालीवुड से जौनपुर पहुंचीं मॉडल और अभिनेत्री दीक्षा सिंह को भी मायूसी मिली है।

Update: 2021-05-03 08:49 GMT

पंचायत चुनाव में ग्लैमर का तड़का लगाने बालीवुड से जौनपुर पहुंचीं मॉडल और अभिनेत्री दीक्षा सिंह को भी मायूसी मिली है। उन्हें करारी हार मिली है। जिला पंचायत सदस्य के लिए मैदान में उतरीं दीक्षा सिंह पांचवें नंबर पर चली गई हैं। मिस फेमिना रनर रहीं दीक्षा बक्शा के वार्ड 26 से मैदान में उतरी थीं। यहां से भाजपा नेता स्वर्गीय राजमणि सिंह की भतीजी श्रीमति नगीना सिंह ने जीत दर्ज की है। दीक्षा को केवल 2000 मत मिले। जबकि श्रीमती नगीना सिंह को 7000 से ज्यादा वोट मिले हैं। दूसरे स्थान पर संजू यादव करीब 5000 वोट हैं। चुनावी मैदान में उतरने के बाद जौनपुर ही नहीं पूरे प्रदेश की नजरें दीक्षा पर लगी थीं। तमाम चैनलों और वेबसाइटों पर दीक्षा सिंह का इंटरव्यू छा गया था। उन्होंने पीएम मोदी को अपना आदर्श बताते हुए चुनावी मैदान में उतरने के कारणों का भी खुलासा किया था।

कई फिल्मों में निभाई भूमिका
बक्शा के चितौड़ी गांव की रहने वाली दीक्षा सिंह 2015 में मिस इंडिया रनर अप रहीं। दीक्षा ने गांव से ही कक्षा तीन तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वह पिता के साथ मुंबई और फिर गोवा चली गईं। दीक्षा जौनपुर के निवासी गोवा के उद्योगपति जितेंद्र सिंह की पुत्री हैं। मिस इंडिया बनने के बाद फिल्मों व बड़े विज्ञापनों में काम किया है। फरवरी-2021 में ही उनके एलबम 'रब्बा मेहर करें' ने खूब सफलता बटोरी। इसके अलावा वह लेखन के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं।
दीक्षा ने बालीवुड की 'इश्क तेरा' फिल्म की कहानी भी लिखी है। इसके अलावा वह पैंटीन, पैराशूट आयल, स्नैप डील से लेकर कई बड़ी कंपनियों के विज्ञापन में काम कर चुकी हैं। जल्‍द ही में उनकी एक बड़े बैनर की वेब सीरीज भी आ रही है। पिता पहले से चुनाव प्रचार में लगे हुए थे। जब जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी महिला सामान्य हो गई, तो पिता ने बेटी को चुनाव मैदान में उतार दिया।
इसलिए उतरीं चुनावी मैदान में
दीक्षा का कहना था कि गांव में देखा कि आज भी यहां विकास कोसों दूर है। कहा था कि मुंबई की फिल्मी दुनिया में रहकर गांव घर का विकास संभव नहीं हो सकता है। अपने घर की सफाई करने के लिए खुद घर में आना पड़ता है। इसी कारण ही उन्होंने यही रहकर चुनाव लडऩे का मन बनाया। उन्होंने कहा था कि चुनाव जीतने के बाद भी गांव में ही रहकर विकास का काम करूंगी।


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