कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में कल यानी शनिवार को पार्टी की कार्यसमिति की अहम बैठक होनी है. कार्यसमिति की बैठक में वैसे तो लखीमपुर खीरी समेत बाकी सभी अहम मुद्दों पर चर्चा होनी है, पर सबकी नजर इस बात पर होगी कि कांग्रेस में नए और स्थाई अध्यक्ष के चुनाव के लिए क्या फैसला लिया जाता है, क्योंकि हाल ही में एक बार फिर G-23 नेताओं ने इस मुद्दे पर कांग्रेस नेतृत्व को घेरना शुरू कर दिया था. एक तरफ जहां कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई घटना को लेकर बीजेपी सरकार को घेरने में लगी है, तो दूसरी तरफ पार्टी में आंतरिक कलह शांत होने का नाम नहीं ले रहा. कैप्टन अमरिंदर सिंह को अचानक ही मुख्यमंत्री पद से हटाना वहीं, नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष की कमान दे देना और उसके बाद सिद्धू के अचानक इस्तीफे की घोषणा के बाद कांग्रेस के बागी गुट G-23 ने एक बार फिर गांधी परिवार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने यहां तक कह दिया था कि अब तो ये तक नहीं पता की पार्टी का नेता कौन है? गुलाम नबी आजाद ने तो सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर तुरंत कार्यसमिति की बैठक बुलाने की भी मांग कर दी थी. वहीं, कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा था कि सिर्फ आप पावर एक्सरसाइज करेंगे और नेतृत्व नहीं देंगे तो ऐसे नहीं चल सकेगा.
हालांकि, जिस दिन ये सवाल सिब्बल और संदीप दीक्षित जैसे नेताओं ने उठाए थे उसी दिन कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इन नेताओं को सोशल मीडिया पर घेरने की कोशिश भी की थी और कुछ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने तो बाकायदा कपिल सिब्बल के निवास पर जाकर उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया था. कांग्रेस पार्टी का कहना है कि अध्यक्ष पद और संगठन के चुनावों पर कार्यसमिति में फैसला पार्टी में तय प्रक्रिया के मुताबिक ही होगा और जिन लोगों को लगता है कि पार्टी में नेता कौन है, उन्हें नहीं पता तो उन्हें बता दें कि कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं.
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि कार्यसमिति की बैठक में लखीमपुर खीरी, किसानों के मसले और बाकी मुद्दों पर मोदी और योगी सरकार को घेरने के अलावा नए अध्यक्ष और संगठन के चुनावों पर कार्यक्रम तय हो जाएगा और चुनाव समिति को चुनाव तय समय पर कराने के निर्देश भी दे दिए जाएंगे, मगर पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए संभव है कि संगठन के चुनाव अगले साल विधानसभा चुनावों के बाद कराए जाएं.