कोरोना महमारी के बीच मजबूरी की एक ऐसी तस्वीर सामने आई, जिसने सबको झकझोर दिया. कोरोना काल में ऐसी तस्वीरें कई शहरों से सामने आईं, लेकिन इस बार ये मंजर दिखा देश की राजधानी दिल्ली में. यहां एक शख्स की अस्पताल में मौत हो गई. लेकिन मृतक के परिजनों के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह शव श्मशान घाट तक एंबुलेंस से ले जा पाते. ऐसे में परिजन अस्पताल के बाहर ही एम्बुलेंस और ऑटो वालों से शव को श्मशान घाट तक ले जाने के लिए गुहार लगाते रहे, लेकिन सबने मना कर दिया. जैसे-तैसे एक एक शख्स राजी हुआ, वो भी ई रिक्शा वाला.
आपको बता दें कि पवन नाम के शख्स की दिल्ली के जग प्रवेश अस्पताल में 26 मई को मौत हुई थी. लेकिन परिजनों के पास उसके शव को एंबुलेंस से श्मशान घाट तक ले जाने के पैसे नहीं थे. परिजन अस्पताल के बाहर लोगों से गुहार लगाते रहे, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. हालांकि, जद्दोजहद के बाद जैसे-तैसे एक ई रिक्शा वाला शव को श्मशान घाट तक ले जाने के लिए राजी हुआ.
लेकिन मुसीबत यही नहीं खत्म हुई, शव जब श्मशान घाट पहुंचा तो परिजनों के पास अंतिम संस्कार करने तक के पैसे नहीं थे. काफी देर बाद जब शव का अंतिम संस्कार नहीं हुआ तो एक NGO मदद के लिए आगे आया. इस गैर सरकारी NGO ने शव का अंतिम संस्कार करवाया. मृतक के परिजनों के मुताबिक लॉकडाउन में काम बंद होने के चलते, उसके दोनों भाई बेरोजगार हो गए थे. पूरा घर आर्थिक तंगी से गुजर रहा था. परिवार के साथ दिल्ली के शास्त्री पार्क इलाके में रहता है. लेकिन इस बीच पवन की मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. गौरतलब है कि देश के तमाम हिस्सों से ऐसी दर्दभरी तस्वीरें सामने आई हैं. जहां आर्थिक तंगी के चलते लोगों को अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करने तक में मुसीबत आई. कहीं कोई अव्यवस्था से परेशान था, तो किसी को बदइंतजामी से दो चार होना पड़ा. इस कोरोना काल में लोगों को तमाम मुसीबतों से गुजरना पड़ा.